हिंदी साहित्य – कविता / Poetry – ☆ मरीचिका मृत हुई… / The mirage died ☆ कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्
कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्
(हम कैप्टन प्रवीण रघुवंशी जी द्वारा ई-अभिव्यक्ति के साथ उनकी साहित्यिक और कला कृतियों को साझा करने के लिए उनके बेहद आभारी हैं। आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व छात्र कैप्टन प्रवीण जी ने विभिन्न मोर्चों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर एवं राष्ट्रीय स्तर पर देश की सेवा की है। वर्तमान में सी-डैक के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एचपीसी ग्रुप में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में कार्यरत हैं साथ ही विभिन्न राष्ट्र स्तरीय परियोजनाओं में शामिल हैं। हम आदरणीय कैप्टन प्रवीण रघुवंशी जी के ह्रदय से आभारी हैं। कैप्टन प्रवीण रघुवंशी न केवल हिंदी और अंग्रेज़ी में प्रवीण हैं, बल्कि उर्दू और संस्कृत में भी अच्छा-खासा दखल रखते हैं. उन्होंने हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए अपनी अतिसुन्दर मौलिक रचना “मरीचिका मृत हुई…” और इसी कविता का अंग्रेजी अनुवाद ” The mirage died” उपलब्ध कराया है जिसे आप इसी पृष्ठ पर मूल रचना के अंत में पढ़ सकते हैं।)
☆ मरीचिका मृत हुई… ☆
अन्ततः
मरीचिका मृत हुई
अंनत काल-चक्रव्यूह
एक और पुनर्जन्म
एक और शरीर
घोषित हुए परिणाम
‘माया मिली ना राम…!’
☆ The mirage died ☆
Finally,
The ‘Marichika’ –the mirage died
Infinite life-cycle maze
Another rebirth
Yet another body
But, the declared results:
‘Maya Mili Na Ram …!’*
*NB*:
**Maya mili na Ram…*
By obsessively chasing the materialistic affairs and also involving in spiritual pursuits, one could neither get the worldly euphoric fantasies nor the supreme God…
– कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, पुणे