श्री प्रतुल श्रीवास्तव 

☆ 28 जुलाई जन्म दिवस पर विशेष – चर्चित व्यंग्यकार विवेक रंजन ☆ श्री प्रतुल श्रीवास्तव ☆

ऊर्जा से भरपूर सक्रिय कवि, नाटक लेखक, एवम् स्थापित व्यंग्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव बात के धनी, मिलनसार किन्तु स्पष्ट वक्ता हैं । मंडला में जन्में विवेक रंजन देश के सुप्रसिद्ध वयोवृद्ध कवि, साहित्यकार प्रो. चित्रभूषण श्रीवास्तव के यशस्वी सुपुत्र हैं । आपने इंजीनियरिंग में पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षा के उपरांत मध्यप्रदेश विद्युत मंडल में सेवा प्रारंभ की और गत वर्ष मुख्य अभियंता के रूप में सेवानिवृत्त हुए । इन्होंने लंबा समय जबलपुर में बिताया है । अपने सेवाकाल में आपने परमाणु बिजलीघर चुटका- मंडला का सर्वेक्षण, अनेक लघु पनबिजली योजनाओं के कार्य सहित विद्युत संबंधी अनेक महत्वाकांक्षी परियोजनाओं पर परिणाम दायी कार्य किये । विशेष बात यह है कि आपने विरासत में प्राप्त अध्ययन, चिंतन-मनन और साहित्यिक अभिरुचि को बनाये रखा ।

“कुछ लिख के सो, कुछ पढ़ के सो, तुम जिस जगह जागे सबेरे, उस जगह से बढ़के सो” के मार्ग पर चलते हुए विवेक भाई निरंतर साहित्य सृजन करते रहे । उन्होंने विभिन्न विषयों पर न सिर्फ कविताएं लिखीं वरन ज्वलंत समस्याओं, राजनीति, सामाजिक विसंगतियों पर लेख और तीखे व्यंग्य भी लिखे । आप जानेमाने समीक्षक भी हैं । देश के प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाओं का प्रकाशन और आकाशवाणी से प्रसारण होता रहता है । व्यंग्यकार के रूप में ख्याति अर्जित करने वाले विवेक रंजन की प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ हैं- आक्रोश (काव्य संग्रह), राम भरोसे, कौआ कान ले गया, मेरे प्रिय व्यंग्य, धन्नो बसंती और बसंत, बकवास काम की, जय हो भ्रष्टाचार की, समस्या का पंजीकरण आदि (व्यंग्य संग्रह)। मिली भगत तथा लॉक डाउन 2 संयुक्त वैश्विक व्यंग्य संग्रहों के संपादन के साथ ही अनेक व्यंग्य संग्रहों में आपकी सहभागिता भी है । आपके द्वारा रचित नाट्य संग्रह हिन्दोस्तां हमारा और जादू शिक्षा का पुरस्कृत हो चुके हैं । साहित्य, कला-संस्कृति जगत में वर्षों से सक्रिय विवेक भाई अनेक संस्थाओं से सम्बद्ध हैं । साहित्य सेवा पर आपको मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी, पाथेय, मंथन, हिंदी साहित्य सम्मेलन, तुलसी साहित्य अकादमी सहित प्रदेश और देश की अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है । वे हिंदी ब्लागिंग के प्रारम्भ से तकनीकी विषयों पर हिंदी लेख , ब्लाग लिखते रहे हैं ।

बैंगलोर के चर्चित साहित्यकार अरुण अर्णव खरे के अनुसार- “क्रिकेट के सिद्ध बल्लेबाज जिस तरह विकेट के चारों तरफ शॉट लगाते हैं उसी तरह विवेक जी समसामयिक विषयों पर लगातार लेखन करते हैं । व्यंग्यकार रमेश सैनी का कथन है कि- “विवेक की नजर मात्र विसंगतियों पर नहीं वरन मानवीय प्रवृत्तियों पर भी गई है । मैं (प्रतुल श्रीवास्तव) समझता हूँ कि अनुज विवेक रंजन व्यापक दृष्टि वाले संवेदनशील रचनाकार हैं, इनकी रचनाओं में व्यंग्य प्रयास पूर्वक नहीं वरन सहजता से प्रगट होता है। मुझे विश्वास है कि उनकी कलम से निकली रचनाएँ साहित्य जगत में विशिष्ट स्थान बनाती रहेंगी ।

आज 28 जुलाई को विवेक रंजन के जन्म दिवस पर उनके सभी मित्रों, परिचितों, शुभचिंतकों, प्रशंसकों  एवं ई-अभिव्यक्ति परिवार की ओर से उन्हें बहुत बहुत बधाई 💐 शुभकामनाएं 💐

– प्रतुल श्रीवास्तव

जबलपुर, मध्यप्रदेश

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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Prakash Khare

इसी प्रकार चमकते हुए हिंदी की आभा का प्रचार प्रसार करते रहें। जीवन सरल सुलभ बना रहे। शुभकामनाएं एवम बधाइयाँ।