श्री अरुण कुमार डनायक
(इस बार हम एक नया प्रयोग कर रहे हैं। श्री सुरेश पटवा जी और उनके साथियों के द्वारा भेजे गए ब्लॉगपोस्ट आपसे साझा करने का प्रयास करेंगे। निश्चित ही आपको नर्मदा यात्री मित्रों की कलम से अलग अलग दृष्टिकोण से की गई यात्रा अनुभव को आत्मसात करने का अवसर मिलेगा। आज प्रस्तुत है नर्मदा यात्रा द्वितीय चरण पर प्रस्तुत है श्री अरुण डनायक जी का नर्मदा यात्रा के संस्मरण की अगली कड़ी । )
ई-अभिव्यक्ति की और से सम्पूर्ण दल को नर्मदा परिक्रमा के दूसरे चरण के लिए शुभकामनाएं।
☆ सफरनामा – नर्मदा परिक्रमा – दूसरा चरण #2 – श्री अरुण कुमार डनायक जी की कलम से ☆
अगर सौ या दो सौ साल बाद किसी को एक दंपती नर्मदा परिक्रमा करता दिखाई दे, पति के साथ में झाड़ू हो और पत्नी के हाथ में टोकरी और खुरपी; पति घाटों की सफाई करता हो और पत्नी कचरे को ले जाकर दूर फेंकती हो और दोनों वृक्षारोपण भी करते हों, तो समझ लीजिए कि वे हमीं हैं – कांता और मैं।”
“कोई वादक बजाने से पहले देर तक अपने साथ का सुर मिलाता है, उसी प्रकार इस जन्म में तो हम नर्मदा परिक्रमा का सुर ही मिलाते रहे। परिक्रमा तो अगले जन्म से करेंगे।”
श्रद्धेय अमृत लाल वेगड़ की पुस्तक तीरे-तीरे नर्मदा से।
वेगड़ बापू से तो नहीं मिला पर बा कांताजी के आशीर्वाद पिछली यात्रा शुरु करने से पहले लिये थे।अब जब कल से यह यात्रा दुबारा शुरु कर रहा हूं तो सौन्दर्य की नदी नर्मदा और तीरे तीरे नर्मदा के उन अंशों को बारम्बार पढ़ रहा हूं जिनका संबंध हमारी यात्रा से होगा। रचनात्मक कार्यों की सूची में अब एक काम और जुड़ गया है , घाटों की सफाई। भगवान शक्ति दे और अमृतस्य नर्मदा के सृजक आदरणीय वेगड़ बापू आशीर्वाद दें कि यह संकल्प निर्विध्न पूरे हों। कल शरद से बात करूंगा। वे संत स्वरूपा ऋषि तुल्य आत्मा अमृत लाल वेगड़ के सुपुत्र हैं और मेरे मित्र भी। उनसे व दिलीप से मेरा परिचय 2000 से है जब मैं भारतीय स्टेट बैंक की कमला नेहरु नगर शाखा का मुख्य प्रबंधक था और दोनों भाई हमारे ग्राहक। एकाधिक बार उनके घर गया पर बा-बापू से नहीं मिला। लेकिन अब जब परिक्रमा करता हूं और उनकी लिखी किताबें पढ़ता हूं तो लगता है वेगड़ बापू बगल में खड़े अपनी बूढ़ी आंखों से मुझे निहार रहे हैं और कह रहे हैं बेटा तू चलता चल , निर्भय होकर परकम्मा कर मैं हूं न तेरे साथ।
नर्मदे हर!
© श्री अरुण कुमार डनायक
42, रायल पाम, ग्रीन हाइट्स, त्रिलंगा, भोपाल- 39
(श्री अरुण कुमार डनायक, भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं एवं गांधीवादी विचारधारा से प्रेरित हैं। )