श्री सुरेश पटवा

(श्री सुरेश पटवा जी  भारतीय स्टेट बैंक से  सहायक महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं और स्वतंत्र लेखन में व्यस्त हैं। आपकी प्रिय विधा साहित्य, दर्शन, इतिहास, पर्यटन आदि हैं। आपकी पुस्तकों  स्त्री-पुरुष “गुलामी की कहानी, पंचमढ़ी की कहानी, नर्मदा : सौंदर्य, समृद्धि और वैराग्य की  (नर्मदा घाटी का इतिहास) एवं  तलवार की धार को सारे विश्व में पाठकों से अपार स्नेह व  प्रतिसाद मिला है। श्री सुरेश पटवा जी  ‘आतिश’ उपनाम से गज़लें भी लिखते हैं । आज से प्रस्तुत है आपका साप्ताहिक स्तम्भ आतिश का तरकश।  आज प्रस्तुत है  जनरल बिपिन रावत जी एवं शहीद जांबाजों को श्रद्धांजलि स्वरुप आपकी ग़ज़ल “वतन परस्त”)

?? आतिश का तरकश – ग़ज़ल # 7 – “वतन परस्त” ☆ श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’ ??

 

महफ़ूज़ रहना ऐ वतन सेनापति सफ़र करते हैं,

तुम्हें सलाम हर शहर गाँव दर बदर करते है।

तुम दहाड़े शेर की मानिंद दुश्मन की जमीं पर,

हम वीर सिपहसालारों से दिली मुहब्बत करते हैं।

तुम्हारे सीने पर तग़मे कहते जज़्बे की कहानी,

दुश्मन नज़र तो उठाए हम काम तमाम करते हैं।

तुम्हारी ये ज़िंदादिली हर सिपाही में जान फूंकेगी,

ज़रूरत होने पर बता देंगे हम शहादत करते हैं।

यह देश हमेशा वतन परस्तों का क़र्ज़दार रहेगा,

देश की आन के लिए जान हथेली पर धरते हैं।

वक़्त आने पर हम भी बता देंगे तुझे ऐ आसमाँ,

‘आतिश’ अभी क्यों बताए सिपाही क्या करते हैं।

© श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’

भोपाल, मध्य प्रदेश

≈ सम्पादक श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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