श्री सुरेश पटवा

(श्री सुरेश पटवा जी  भारतीय स्टेट बैंक से  सहायक महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं और स्वतंत्र लेखन में व्यस्त हैं। आपकी प्रिय विधा साहित्य, दर्शन, इतिहास, पर्यटन आदि हैं। आपकी पुस्तकों  स्त्री-पुरुष “गुलामी की कहानी, पंचमढ़ी की कहानी, नर्मदा : सौंदर्य, समृद्धि और वैराग्य की  (नर्मदा घाटी का इतिहास) एवं  तलवार की धार को सारे विश्व में पाठकों से अपार स्नेह व  प्रतिसाद मिला है। श्री सुरेश पटवा जी  ‘आतिश’ उपनाम से गज़लें भी लिखते हैं ।

आज से प्रस्तुत है परमपूज्य पिताजी की स्मृति में रचित श्रद्धांजलि स्वरुप एक भावप्रवण कविता “मैं पुत्र वो मेरा पिता है…”)

? कविता – “मैं पुत्र वो मेरा पिता है…” ☆ श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’ ?

(पिताजी उस्ताद शंकर लाल पटवा ने 18 मार्च 2018 के दिन यमलोक प्रस्थान किया था। उनकी पुण्य तिथि पर सादर नमन ?)

जिस तरह वे जिए

बहुत कम जीते हैं

चषक जी भर पिया

अब प्याले रीते हैं

 

कल आज और कल

ये अतीत का नजारा,

सिमटा इसमें हमारा कल

बीत गया रीत गया,

 

कल कल बहता

काल का झरना,

नही हमेशा किसी को रहना

अटल सत्य

मैं पुत्र वो मेरा पिता है

सामने काल बनकर

खड़ा चिता है

 

बनाया जिसने

काल को वो

सबका पिता है

खुद आया नौ बार

तीन बार दूत भेजे

क्या खुद या दूत

काल के गाल से

गराल से

मार से बचा है !

 

बता

क्यों ये खेल

तूने रचा है ?

 

(केदार नाथ यात्रा के समय का फ़ोटो)

© श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’

भोपाल, मध्य प्रदेश

≈ सम्पादक श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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