सौ. सुजाता काळे
((सौ. सुजाता काळे जी मराठी एवं हिन्दी की काव्य एवं गद्य विधा की सशक्त हस्ताक्षर हैं । वे महाराष्ट्र के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल कोहरे के आँचल – पंचगनी से ताल्लुक रखती हैं। उनके साहित्य में मानवीय संवेदनाओं के साथ प्रकृतिक सौन्दर्य की छवि स्पष्ट दिखाई देती है। आज प्रस्तुत है सौ. सुजाता काळे जी की पर्यावरण और मानवीय संवेदनाओं पर आधारित एक भावप्रवण कविता “मत का दान”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कोहरे के आँचल से # 18 ☆
☆ मत का दान☆
मत का दान दे उनको
जो करें मत का राज।
मत का दान न देना उनको
जो करें मन का राज।
गरीब को भी जी जाने दो
ऊँगली में स्याही लगने दो।
ना मस्तवाल का राज हो
जी भर जीवन जीने दो।
गणतंत्र का राज हो
वाणी अधिकार मिलने दो।
राम राज्य अब आ जाए
हर जीवन में खिलने दो।
© सुजाता काळे,
पंचगनी, महाराष्ट्र, मोब – 9975577684