सौ. सुजाता काळे
((सौ. सुजाता काळे जी मराठी एवं हिन्दी की काव्य एवं गद्य विधा की सशक्त हस्ताक्षर हैं । वे महाराष्ट्र के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल कोहरे के आँचल – पंचगनी से ताल्लुक रखती हैं। उनके साहित्य में मानवीय संवेदनाओं के साथ प्रकृतिक सौन्दर्य की छवि स्पष्ट दिखाई देती है। आज प्रस्तुत है सौ. सुजाता काळे जी की पर्यावरण और मानवीय संवेदनाओं पर आधारित एक भावप्रवण कविता “जिंदगी और हालात”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कोहरे के आँचल से # 22 ☆
☆ जिंदगी और हालात ☆
बदल जाती है जिंदगी,
हालातों के साथ,
इन्सां के पास क्या होता है?
मलता है हाथ
सामना करते हुए ,
कभी झुक जाता है,
ठोकर खाकर गिरने पर,
रूक जाता है।
हवा का रूख पलटकर ,
कभी चलता है,
जलते चरागों से खुद को,
कभी बचाता है।
बदल जाते हैं रास्ते,
बदल जाते हैं चराग भी
हालातों से बचकर ,
जहां कभी बनता है?
© सुजाता काळे
पंचगनी, महाराष्ट्र, मोब – 9975577684