हिन्दी साहित्य – अटल स्मृति – कविता -☆ श्रद्धांजलि ☆ – श्री सूबेदार पाण्डेय “आत्मानंद”
श्री सूबेदार पाण्डेय “आत्मानंद”
(आज प्रस्तुत है श्री सूबेदार पाण्डेय “आत्मानंद” जी द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी की प्रथम पुण्यतिथिपर श्रद्धांजलि अर्पित करती हुई कविता “श्रद्धांजलि”।)
☆ अटल स्मृति – श्रद्धांजलि ☆
हे राजनीति के भीष्म पितामह!
हे कवि हृदय, हे कवि अटल!
हे शांति मसीहा प्रेम पुजारी!
जन महानायक अविकल।
हे राष्ट्र धर्म की मर्यादा,
हे चरित महा उज्जवल।
नया लक्ष्य ले दृढ़प्रतिज्ञ,
आगे बढ़े चले अटल।
हे अजातशत्रु जन नायक ॥1॥
आई थी अपार बाधाएं,
मुठ्ठी खोले बाहे फैलाये।
चाहे सम्मुख तूफान खड़ा हो,
चाहे प्रलयंकर घिरे घटाएँ।
राह तुम्हारी रोक सकें ना ,
चाहे अग्नि अंबर बरसाएँ।
स्पृहा रहित निष्काम भाव,
जो डटा रहे वो अटल।
हे अजातशत्रु जन नायक ॥2॥
थी राह कठिन पर रुके न तुम,
सह ली पीड़ा पर झुके न तुम,
ईमान से अपने डिगे न तुम,
परवाह किसी की किए न तुम,
धूमकेतु बन अम्बर में
एक बार चमके थे तुम।
फिर आऊंगा कह कर के,
करने से कूच न डरे थे तुम।
हे अजातशत्रु जन नायक ॥3॥
काल के कपाल पर,
खुद लिखा खुद ही मिटाया।
बनकर प्रतीक शौर्य का,
हर बार गीत नया गाया।
लिख दिया अध्याय नूतन,
ना कोई अपना पराया ।
सत्कर्म से अपने सभी के,
आंख के तारे बने।
पर काल के आगे विवश हो,
छोड़कर हमको चले।
हम सभी दुख से है कातर
श्रद्धा सुमन अर्पित किये।
सबके हृदय छाप अपनी
आप ही अंकित किये ॥4॥
-सुबेदार पांडेय “आत्मानंद”
संपर्क – ग्राम जमसार, सिंधोरा बाज़ार, वाराणसी – 221208