श्री प्रदीप शर्मा
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका व्यंग्य – “जे सी बी (Joseph Cyril Bamford)“।)
सृष्टि के सर्जक, पालक और संहारक भले ही ब्रह्मा, विष्णु, महेश हों, कलयुग में निर्माण और विध्वंस का कार्य जेसीबी ने अपने जिम्मे ले लिया है। आपातकाल में बुलडोजर का आतंक था, अमृत काल में यह जेसीबी विकास रथ को देश के नव निर्माण की ओर अग्रसर कर रही है।
आप केबीसी को कौन बनेगा करोड़पति कह सकते हैं, केवायसी(KYC) को know your customer कह सकते हैं, लेकिन जेसीबी, जैसी भी है, वैसी ही कहलाएगी।
स्कूल की बसों की तरह इसका रंग भी पीला ही कर दिया गया है। भरे बाजार में जब यह भीमकाय यंत्र चलता है तो किसी आवारा सांड अथवा पागल हाथी से कम खतरनाक प्रतीत नहीं होता। शुक्र है, इसका महावत एक कुशल ड्राइवर होता है, फिर भी हादसे तो हो ही जाते हैं।।
हमारे देश में कई क्रांतियां हुई हैं। जेपी की संपूर्ण क्रांति के बाद अब जेसीबी पूरे देश में समृद्धि की क्रांति ला रही है। बड़ी बड़ी हाइड्रोलिक मशीनें मेट्रो और रेलवे ट्रैक का निर्माण कर रही हैं। किसान के खेत से लगाकर स्मार्ट सिटी तक आज जेसीबी का ही राज है।
आजकल गणित में पहले जैसे सवाल नहीं पूछे जाते! बीस मजदूर एक कुएं को दस दिन में खोदते हैं, तो पचास मजदूर कितने दिनों में खोदेंगे। मजदूर की तो कब की छुट्टी हो गई है। ड्रिलिंग मशीन चार घंटे में चार सौ फीट नीचे पाताल से पानी निकाल लाती है। बोल मजूरा हल्ला बोल की तो अब बोलती ही बंद है।।
विकास की धारणा हमारे यहां देशी विदेशी का कॉकटेल है। हम विदेशों से ज्ञान भी अर्जित करते हैं और तकनीक भी लेकर आते हैं, जो हमें आगे चलकर स्वावलंबन का पाठ पढ़ाती है। एक बच्चा भी पहले माता पिता की उंगली का सहारा लेता है, और बाद में अपने पांव पर खड़ा ही नहीं होता, बुढ़ापे में अपने माता पिता का सहारा बनता है।
आज बच्चे पढ़ लिखकर विदेश में बस रहे हैं, और ये श्रवणकुमार और कुमारियां अपने माता पिता को तीर्थाटन नहीं, अपने पास बुलाकर वर्ल्ड टूर करवाते हैं। फिर भी अगर आपको हमारे देश में कहीं वृद्धाश्रम नजर आते हैं, तो समझिए, अभी ग्लास आधा खाली है, और आधा भरा है।
आपने स्वराज पॉल का नाम तो सुना ही होगा, लॉर्ड स्वराज पॉल! वे भारतीय मूल के एक ब्रिटिश उद्योगपति हैं। स्वराज माजदा ट्रक हो अथवा स्वराज ट्रैक्टर, पूरे देश में इनका जाल बिछा हुआ है। देश में हों या विदेश में, नाम तो हमारे देश का ही रोशन कर रहे हैं।।
जेसीबी को बेकहो लोडर्स भी कहते हैं। 92 HP की ताकत, इसका खुद का वजन करीब 7460 किलो और इसकी वजन उठाने की क्षमता आठ हजार किलो।
मेरे आवास के पास एक बहुमंजिला आवासीय इमारत बन रही है। रोज सुबह ९ बजे जेसीबी आ जाती है, बेचारी काम पर लग जाती है। यहां गड्ढा खोदा, मिट्टी निकाली, कहीं दूर जाकर फेंकी। सभी तरह का बोझा भी ढो ले। कभी कलपुर्जे ढीले हो जाएं तो काम ठप पड़ जाए। बस जैसी भी है, बेचारी मशीन है। उसे आदेश मिलेगा तो चंद मिनटों में किसी का मकान भी तोड़फोड़ देगी। ईश्वर करे इसका उपयोग विकास में ही हो, विनाश और विध्वंस में नहीं।।
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© श्री प्रदीप शर्मा
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