श्री प्रदीप शर्मा
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “श्रीमती तारकेश्वरी सिन्हा”।)
श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान को तो खैर, आज भी बच्चा बच्चा जानता है, लेकिन तारकेश्वरी सिन्हा नाम कुछ सुना सुना सा लगता है। देश की आजादी के पश्चात् पहली लोकसभा (१९५२) की बिहार से लोकसभा की सदस्या थी श्रीमती तारकेश्वरी सिन्हा। जन्म 26 दिसंबर 1926 अवसान 14 अगस्त 2007।
एक भारतीय राजनीतिज्ञ एवं भारत छोड़ो आंदोलन की सक्रिय सदस्या।
जो आवाजें कई वर्षों तक संसद में गूंजी, इस नई संसद में उनकी सिर्फ यादें ही बाकी रह जाएंगी। जिस तरह परिवार में पुराने सदस्यों की चर्चा होती है, उम्मीद नहीं, कभी आज की संसद में इन भूले बिसरे चेहरों की कभी चर्चा भी हो पाएगी।।
१४ अगस्त श्रीमति तारकेश्वरी की पुण्यतिथि भी है, मौका भी है और दस्तूर भी, इस अवसर पर उन्हें सिर्फ याद ही किया जा सकता है।
वे केवल सोलह वर्ष की अवस्था में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुई, और केवल २६ वर्ष की उम्र में बिहार से १९५२ का लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद में उनका पदार्पण हुआ। लगातार सन् १९५७, १९६२ और १९६७ तक वे लोकसभा की सदस्या रही लेकिन १९७१ में वे चुनाव हार गई। ।
वे एक झुहारू राजनेता थी। बॉब कट बाल और स्लीवलेस ब्लाउज पहने वह बेबी ऑफ हाउस, ग्लैमर गर्ल ऑफ इंडियन पार्लियामेंट, और ब्यूटी विद ब्रेन जैसे विशेषण से नवाजी जाने वाली श्रीमती सिन्हा नेहरूजी के पहले मंत्रिमंडल में भी वित्त राज्य मंत्री के रूप में शामिल थी। मोरारजी देसाई तब देश के वित्त मंत्री थे। वे सुंदरता में इंदिरा जी से उन्नीस नहीं थी और इंदिरा जी फिरोज गांधी को लेकर बहुत पजेसिव थी। जहां भी ब्यूटी विद ब्रेन होगा, वहां सहज आकर्षण तो होगा ही। शायद इसीलिए तारकेश्वरी सिन्हा कभी इंदिरा जी की पसंद नहीं रही।
संसद की बहस में तब तारकेश्वरी सिन्हा के शेर गूंजा करते थे। लोहिया हों या स्व. अटल बिहारी बाजपेई, तब की नोंक झोंक, विट, ह्यूमर और शालीनता की तुलना आज के माहौल से नहीं की जा सकती। ।
सन् १९७१ का चुनाव तारकेश्वरी सिन्हा हार गई, क्योंकि इंदिरा लहर में वे कांग्रेस के खिलाफ कांग्रेस (old) के टिकट से चुनाव लड़ी थी। विनाश काले विपरीत बुद्धि के कारण में वे भी इंदिरा जी के साथ हो गई और साथ साथ सन् 1977 का चुनाव भी हार गई और उनका राजनैतिक कैरियर हमेशा के लिए समाप्त हो गया।
राजनीति में ग्लैमर भी जरूरी है, इसीलिए फिल्मी सितारों की राजनीति में प्रविष्टि हुई। संसद में नर्गिस, सुनील दत्त, दिलीप कुमार, विनोद खन्ना और बाद में तो क्रिकेट खिलाड़ी और धर्मेंद्र, हेमा और सनी तीनों ही लोकसभा में चले आए। उधर जया और जयाप्रदा तो इधर भोजपुरी अभिनेताओं की तिकड़ी। ।
अस्त होते सूरज को कौन नमन करता है। गुमनामी का जीवन गुजारती श्रीमती तारकेश्वरी सिन्हा वर्ष 2007 में आज ही के दिन, चुपचाप इस संसार से रुखसत हो गई।
अनायास ही १४ अगस्त को उनकी याद आ गई, उन्हें सादर श्रद्धांजलि ..!!!
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© श्री प्रदीप शर्मा
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