श्री प्रदीप शर्मा
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “पिता और परम पिता…“।)
अभी अभी # 348 ⇒ पिता और परम पिता… श्री प्रदीप शर्मा
Father & Godfather
जो हमें जन्म दे वह माता और जो हमें नाम और पहचान दे, वह पिता। पिता को हम पिताजी, पापा, डैडी, बाबूजी, कुछ भी कह सकते हैं, लेकिन हमारे केवल एक पिता होते हैं। अंग्रेजों में ऐसा नहीं है, उनके एक तो जन्म देने वाले फादर होते हैं, तो उनके दूसरे फादर चर्च में होते हैं, जहां उनके सामने वे कन्फेशन बॉक्स में अपने अपराध अथवा पाप कुबूल करते हैं और फादर उन्हें माफ कर देते हैं।
हमें ऐसे किसी फादर की जरुरत ही नहीं पड़ती। हमारे पिताजी को हमारे अपराध और गलतियां कुबूल करवाते आता है, उसके लिए हमें किसी मंदिर में नहीं जाना पड़ता। वे हमें सूतते रहते हैं, और हम गलतियां उगलते रहते हैं। एक बाप का फर्ज है कि वह अपने बालक को सुधारे और गलत रास्ते पर नहीं जाने दे।।
अंग्रेजी में एक तीसरे पिता भी होते हैं, जिन्हें गॉडफादर कहते हैं। होते हैं कुछ ऐसे दयालु इंसान, जिनका आपके जीवन में पिता जितना ही महत्व होता है। वे भगवान के रूप में मुसीबत के समय में आपकी मदद भी करते हैं और आपका मार्गदर्शन भी करते हैं। आप उन्हें ना तो पिता ही कह सकते और ना ही परम पिता, वाकई आपके गॉडफादर ही होते हैं वह।
एक लेखक हुए हैं मारियो पुज़ो (mario puzo) जिनका एक उपन्यास है, द गॉडफादर(The Godfather) जिनका धर्म से कुछ संबंध नहीं है। अपराध ही उनका धर्म है। लेकिन दुनिया उसे पूजती है। इस उपन्यास ने तो धर्म और पिता, दोनों की परिभाषा ही बदल दी। फिरोज खान ने भी एक अपराध फिल्म बनाई थी, धर्मात्मा। आज दोनों तरह के गॉडफादर यानी धर्मात्मा हमारे समाज में मौजूद हैं।।
हमारे जीवन में जितना महत्व रिश्तों का है, उतना ही धर्म का भी है। इससे बड़ा उदाहरण क्या होगा कि जिस पत्नी को अंग्रेजी में वाईफ अथवा better half कहते हैं, उसे हम धर्मपत्नी कहते हैं। अन्य आत्मिक रिश्तों को हमने भले ही धर्म पिता, धर्म भाई और धर्म बहन का नाम दिया हो।
गुरु बिना ज्ञान कहां से पाऊं। कलयुग में आपको सतगुरु भले ही ना मिलें, लेकिन धर्मगुरु एक ढूंढो हजार मिलेंगे। धर्म की शिक्षा के प्रति सरकार भी सजग है। लखनऊ यूनिवर्सिटी से आप चाहें तो धर्मगुरु का कोर्स भी कर सकते हैं। एक बानगी और देखिए ;
सेना में धर्मगुरु बनने के लिए किसी भी विषय में स्नातक और संबंधित धर्म डिग्री या डिप्लोमा होना चाहिए. धर्मगुरुओं के लिए वही शारीरिक मापदंड निर्धारित किए गए हैं. धर्मगुरुओं को भी एक सैनिक की ही तरह कड़े प्रशिक्षण से गुजरना पड़ता है. इसके बाद भारतीय सेना में पंडित, मौलवी, ग्रंथी और पादरी जैसे पदों पर भर्ती हो सकते हैं।।
पिता और परम पिता के अलावा भी मेरे जीवन में कई ऐसे फरिश्ते आए हैं, जिन्हें मैं गॉडफादर मानता हूं। माता कहां जीवन भर साथ देती है, पिता का साया भी, एक उम्र तक ही नसीब होता है, लेकिन होते हैं कुछ रहबर, जो प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से हमें हमेशा राह दिखाते रहते हैं। आप उन्हें रिश्ते का कोई नाम दें ना दें, क्या फर्क पड़ता है ;
रिश्ता क्या है, तेरा मेरा।
मैं हूं शब, और तू है सवेरा
रिश्ता क्या है तेरा मेरा ….
© श्री प्रदीप शर्मा
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