श्री प्रदीप शर्मा
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपकी कविता – “समय पर कविता…“।)
अभी अभी # 363 ⇒ समय पर कविता… श्री प्रदीप शर्मा
मैने कभी कोई काम समय पर नहीं किया,
जब कि मेरे पास पर्याप्त समय था
जिस व्यक्ति ने कभी कविता लिखी ही नहीं,
वह अचानक समय पर कविता लिखेगा,
अगर वह समय पर कविता लिखता,
तो हो सकता है,
आज एक बड़ा कवि होता।
लोग समय पर, जो काम करना है, वह तो करते नहीं,
और बाद में मेरी तरह पछताते हैं।
देर आयद, दुरुस्त आयद। अभी भी समय है।
समय पर कविता लिखने के लिए,
सबसे पहले मैने समय देखा,
समय तो चलायमान है,
मुझे चलते समय पर ही कविता लिखनी पड़ेगी,
मेरे लिए कहां समय ठहरने वाला है। ।
समय पर कुछ पंक्तियां याद आईं,
ये समय बड़ा हरजाई,
समय से कौन लड़ा मेरे भाई।
समय ने मुझे आगाह किया,
तुम मुझ पर कविता लिखना चाहते हो,
अथवा मुझसे लड़ना चाहते हो, व्यर्थ समय मत व्यय करो,
मुझ पर कविता लिखो।
मुझे अच्छा लगा, समय मुझ पर प्रसन्न है,
आज समय मेरे साथ है,
चलो मन लगाकर समय पर कविता लिखें।
कहीं पढ़ा था, समय को शब्द दो।
शायद समय मुझसे शब्द मांग रहा है,
कविता भी शायद वह ही लिख दे।
समय पर क्या स्वयं समय ने कभी कविता लिखी है। अब मैं शब्द कहां से लाऊं।
गूगल शब्दकोश की सहायता लूं
लेकिन मैं जानता हूं, समय इतनी देर ठहरने वाला नहीं
वह मेरी परीक्षा ले रहा है। ।
मैं समय पर कविता लिख रहा हूं या कोई निबंध ? कोई तुक नहीं, मीटर नहीं,
क्या इस तरह सपाट भी कविता लिखी जाती है। समय क्या कहेगा।
फिर खयाल आया,
अकविता और अतुकांत कविता का समय भी तो आया था
कविता में सब चलता है, बस आपका समय अच्छा चलना चाहिए।
जब आज समय मेरे साथ है,
मतलब मेरा समय भी अच्छा ही चल रहा है। साहिर बेवजह ही डरा गए हमको,
आदमी को चाहिए,
वक्त से डरकर रहे।
इतना ही नहीं,
कौन जाने किस घड़ी,
वक्त का बदले मिजाज।
मैने घड़ी की ओर देखा,
मेरा समय ठीक चल रहा था। ।
जब समय का मूड अच्छा हो,
तो आप उससे बेखौफ कुछ भी पूछ सकते हो।
साहिर के बारे में समय ने बताया,
साहिर समय से बहुत आगे का शायर था,
इसीलिए लोग उसे समझ नहीं पाए
साहिर ने कई बार वक्त को मात दी है
तारीख गवाह है।
तुम भी अगर समय की कद्र करते,
समय पर साहिर की तरह कविता लिखते,
तो शायद आज तुम्हारा भी समय होता
लगता है, तुम्हारा समय अभी नहीं आया।
तुमको मैने इतना समय दिया लेकिन तुमने कविता के नाम पर एक शब्द नहीं लिखा
आज तुम्हारा समय समाप्त होता है
फिर जब समय आए, तब मुझ पर कविता लिखने की कोशिश करना।
वैसे समय के सदुपयोग से बड़ी कोई कविता नहीं।
समय निकालकर कुछ भी लिखा करो
समय अपने आप में एक कविता है
समय के साथ बहना सीखो। ।
© श्री प्रदीप शर्मा
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