श्री प्रदीप शर्मा
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “अथ श्री महाभारत कथा…“।)
अभी अभी # 379 ⇒ अथ श्री महाभारत कथा… श्री प्रदीप शर्मा
भारत की यह कथा आजादी से शुरू होती है। सन् १९४७ में भारत आजाद हुआ, बंटवारे के साथ। नेहरू गांधी जिम्मेदार, कुबूल, आगे बढ़ें। भारत को इंडिया भी कहा जाता था। एक ही सिक्के के दो पहलू थे, भारत और इंडिया। केवल सिक्के पर ही नहीं, हर भारतीय मुद्रा पर हिंदी में भारत और अंग्रेजी में India, आज भी अंकित है, और साथ में गांधी जी का चित्र भी।
जग में सुंदर हैं दो नाम,
चाहे कृष्ण कहो या राम
की तर्ज पर चाहे इंडिया कहो या भारत, दोनों शब्दों में करोड़ों भारतीयों का दिल बसता है। बड़े गर्व से याद आता है, मेक इन इंडिया, शाइनिंग इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया और डिजिटल इंडिया। भारत माता की जय और आय लव माय इंडिया।।
लोकतंत्र में राजा नहीं होता, सत्ता पक्ष और विपक्ष होता है। पहले देश का बंटवारा, और अब नाम का बंटवारा। स्वार्थ की राजनीति ने, और सत्ता के मोह ने, एक नया इंडिया राजनीतिक गठबंधन खड़ा कर दिया, और बेचारा भारत देखता ही रह गया। भारत और इंडिया के नाम पर धर्म और अधर्म की राजनीति भी शुरू हो गई।
सत्ता के लिए एक और महाभारत।
महाभारत के समय में तो कौरव पांडव भी भाई भाई थे, लेकिन वहां भी धर्म अधर्म की लड़ाई थी। एक तरफ महाराज धृतराष्ट्र – गांधारी पुत्र दुर्योधन और उसके सौ भाई और दूसरी ओर पांच कुंती पुत्र पांडव। आज के महाभारत में हमें धृतराष्ट्र, दुर्योधन, दानवीर कर्ण, शकुनि, द्रोणाचार्य और कई कृपाचार्य तो नजर आते हैं, लेकिन धर्मराज युधिष्ठिर, वीर अर्जुन, महात्मा विदुर, ज्ञानी उद्धव और सारथी श्रीकृष्ण कहीं नजर नहीं आते।।
इतिहास साक्षी है, जब भी राम रावण युद्ध हुआ है, अथवा महाभारत हुआ है, सदा सत्य की और धर्म की ही विजय हुई है। जो सनातन सत्य है, वह कभी बदल नहीं सकता। देवासुर संग्राम में भी सदा देवताओं की ही विजय हुई है।
आज एक स्वयंभू श्रीकृष्ण हमें कलयुग और द्वापर की जगह वापस त्रेता युग में ले जाने को तत्पर हैं। राम और कृष्ण की तरह वे ही भारत और इंडिया के प्रतीक हैं, भारत फिर एक बार चैन की बंसी बजाएगा, अधर्म का नाश होगा, रामराज्य फिर से आएगा। इंडिया इज भारत, भारत इज इंडिया। नो मोर महाभारत।
मेरा भारत महान।
जय भारत..!!
© श्री प्रदीप शर्मा
संपर्क – १०१, साहिल रिजेंसी, रोबोट स्क्वायर, MR 9, इंदौर
मो 8319180002
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈