श्री प्रदीप शर्मा

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “नारियल पानी “।)  

? अभी अभी # 45 ⇒ नारियल पानी ? श्री प्रदीप शर्मा  ? 

एक कहावत आम है, आम के आम, गुठलियों के दाम ! हमने तो अक्सर आम खाया और गुठली फेंक दी। हमने आम के भी दाम दिए और गुठलियों के भी। आम से हमको मतलब, गुठली से क्या लेना।

लेकिन प्रकृति हमें आम भी देती है और एक गुठली फिर से उगकर आम का पेड़ बन जाती है। आम की सिर्फ  गुठली ही नहीं, पूरा पेड़ उपयोगी है, पत्ती से लेकर तने तक। ठीक इसी प्रकार आम की तरह नारियल का भी मामला है। एक नारियल अगर   हमें गुणकारी पानी देता है तो वही नारियल हमें खोपरे का तेल भी देता है। यानी एक ही नारियल में पानी का कुआं भी है और तेल का भी। नारियल, एक कितनी छोटी गागर, लेकिन इसमें समाए हुए सभी सागर। ।

पूरी सृष्टि हो या हमारा शरीर, पांच तत्व, पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश तत्व ही इसका आधार है। कहा जाता है इस पृथ्वी पर तीन चौथाई समुद्र है। हमारे शरीर में अगर जल तत्व की मात्रा कम हो, तो हमारा जीवन खतरे में पड़ सकता है। सभी तरह की शारीरिक व्याधियों में नारियल पानी एक रामबाण औषधि है, संजीवनी है। जो काम अस्पताल में सलाइन करती है, वही काम नारियल पानी भी करता है। इसमें अगर  क्षार है तो मिठास भी। An apple a day की कहावत तो सबने सुनी है लेकिन अगर रोज नारियल पानी का नियम से सेवन किया जाए तो यह भी किसी डॉक्टर से कम नहीं।

इसी नारियल को श्रीफल भी कहते हैं जो पूजा में भी काम आता है और सारस्वत सम्मान में शॉल श्रीफल बन किसी की साहित्य साधना का फल बन जाता है। साधक शॉल ओढ़े और खोपरा खाए। सुना है, इसी खोपरे से खोपड़ी में सरस्वती यानी ज्ञान की देवी प्रवेश करती है। ।

ऊपर से कड़क और अंदर से पानी पानी, नारियल पानी की यही कहानी ! अक्सर समुद्री तटों के आसपास ही नारियल के पेड़ होते हैं। एक और फल कदली अर्थात् केले के वृक्ष  का तो एक पत्ता ही डायनिंग टेबल का काम कर जाता है। नारियल का ही पानी, नारियल की ही चटनी और नारियल का तेल। अद्भुत है नारियल का खेल।

समुद्र का पानी खारा होता है, उसे आप पी नहीं सकते। एक नारियल समुद्र से सिर्फ नमक ही नहीं लेता, उसे साफ कर, उसमें मिश्री भी घोल देता है। उसे एक सुरक्षित पात्र में एकत्रित कर देता है और आप जब चाहें तब, प्यास लगने पर कुआं खोदने की जगह, नारियल छीलकर पानी पी सकते हैं। पेट की सभी बीमारियों और कमजोरियों में स्वादिष्ट पेय, नारियल पानी। ।

किसी भी पूजा का फल श्रीफल के बिना निष्फल है। पूजा के नारियल में गीरी होती है, जो खोपरा कहलाता है और प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। सूखने पर इसी खोपरे के कई व्यंजन बनते हैं। इस खोपरे की गिनती सूखे मेवे के रूप में होती है जिसका तेल हम सर में लगाते भी हैं और खाते भी हैं।

सर्दी में रोज सवेरे सर से पांव  तक, पूरे बदन में, खोपरे का तेल लगाएं, खुश्की से बचें ! ठंड में खोपरा खाएं, सेहत बनाएं, पेट की गर्मी, डिहायड्रेशन सहित पेट की सभी बीमारियों के लिए नियमित नारियल पानी का सेवन करें। सभी मिनरल कंटेंट युक्त, १०० प्रतिशत शुद्ध प्राकृतिक पेय, और ज़रा इसका सुरक्षित पैकिंग तो देखिए, कच्चा नारियल हो, या पूजा का नारियल, और दांतों तले उंगलियां दबाइए।।

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© श्री प्रदीप शर्मा

संपर्क – १०१, साहिल रिजेंसी, रोबोट स्क्वायर, MR 9, इंदौर

मो 8319180002

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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