श्री प्रदीप शर्मा

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “जन्मजात बर्थ।)

?अभी अभी # 485 ⇒ जन्मजात बर्थ? श्री प्रदीप शर्मा  ?

Birth & Berth

रेल्वे तो हमें यात्रा के दौरान हमारी सुविधा हेतु, मांगने पर, बर्थ एलॉट करती है, लोअर मिडल अथवा अपर, लेकिन वह ऊपर वाला तो जन्म लेते ही हमें बर्थ एलॉट कर देता है, और वह भी, बिना मांगे ही, किसी को लोअर बर्थ, किसी को मिडिल बर्थ, तो किसी को अपर बर्थ।

ईश्वर द्वारा प्रदत्त बर्थ हमारे पूर्व जन्म के संस्कारों के आधार पर एलॉट की जाती है, वही लोअर, मिडिल और अपर का चक्कर। लोअर बर्थ में बीपीएल कार्ड और मुफ्त राशन की सुविधा होती है, अपर बर्थ वाला तो लोअर और मिडिल के सर पर पांव रखकर ऊपर जाकर आराम से लेट जाता है, लेकिन लोवर और मिडिल क्लास को कुछ समय तक तो मिलजुल कर ही यात्रा तय करनी पड़ती है। लोअर बर्थ और मिडिल बर्थ अपनी मेहनत मजदूरी और पसीने की कमाई का भोजन आपस में शेयर करते हैं सुख-दुख की बात करते हैं और बाद में, लोअर मिडल लोअर और मिडिल बर्थ वाले अपने अपनी सीट पर सो जाते हैं।।

लोवर और मिडिल बर्थ वालों को जिंदगी के सफर में, सिर्फ रात को ही नींद सुख चैन और आराम नसीब होता है। जिंदगी में अपर बर्थ, नसीब वालों को ही मिलती है। लेकिन रेल्वे के सफर में तो अपर बर्थ वाले भी लोअर बर्थ पर ही आना पसंद करते हैं। वरिष्ठ नागरिकों को लोअर बर्थ में प्राथमिकता भी मिलती है। मिडिल बर्थ वाले को तो जीवन में भी लोअर और अपर वाले के बीच सैंडविच बनना ही पड़ता है, वही सिंगल और डबल BHK अपार्टमैंट वाली जिंदगी। ना तू जमीं के लिए है ना तू आसमान के लिए।

वैसे भी देखा जाए तो जीवन की गाड़ी में भी आज लोअर बर्थ वाले ही ज्यादा सुखी हैं। होती होगी अपर बर्थ वाले को भी जिंदगी में परेशानी, लेकिन मिडिल बर्थ वाला, लोअर बर्थ वाले और अपर बर्थ वाले, दोनों को अपने से अधिक खुशनसीब समझता है। मिडिल क्लास की घुटन से तो लोअर बर्थ अथवा अपर बर्थ ही उसे अधिक सुविधाजनक प्रतीत होती है।।

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© श्री प्रदीप शर्मा

संपर्क – १०१, साहिल रिजेंसी, रोबोट स्क्वायर, MR 9, इंदौर

मो 8319180002

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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