श्री प्रदीप शर्मा
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “हमारे पास भी भेजा है …“।)
अभी अभी # 507 ⇒ एक कविता श्री प्रदीप शर्मा
कविता कभी पूरी नहीं होती
जिंदगी कविता है,
प्रकृति भी तो कविता ही है ।
लय,छंद,ताल
खुला आकाश,
बहती कलकल नदी
आकाश को छूते विहंग
क्या कविता हो गई पूरी ?
रोज उगता सूरज
जुड़ता एक नया पृष्ठ
कितने अध्याय जीवन के
एक यात्रा अनंत ।।
© श्री प्रदीप शर्मा
संपर्क – १०१, साहिल रिजेंसी, रोबोट स्क्वायर, MR 9, इंदौर
मो 8319180002
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