श्री प्रदीप शर्मा
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “घर बैठे कामकाज …“।)
अभी अभी # 511 ⇒ घर बैठे कामकाज श्री प्रदीप शर्मा
कोरोना काल के पहले घर बैठे कामकाज वे लोग ही करते थे जिनके पास कोई स्थायी नौकरी अथवा काम धंधा नहीं होता था । अगर आपको कोई स्थायी नौकरी अथवा काम धंधा करना है,तो आपको घर से बाहर तो जाना ही होगा । अब आप अपने घर में सरकारी दफ्तर खोलने से तो रहे । प्रायवेट नौकरी धंधों में तो घर बार छोड़ बाहर गांव क्या, अपना देश प्रदेश छोड़, सात समन्दर पार तक जाना पड़ सकता है, आखिर पापी पेट का सवाल जो है ।
बचपन में बड़े बूढ़ों से महामारी के बारे में सुना था और 70 वसंत पर करने के बाद कोरोना वायरस का तांडव हमने आंखों से देख भी लिया । क्या कोई हड़ताल करवाएगा, चक्का जाम करेगा, और कर्फ्यू लगाएगा, एक मौत का डर इंसान से सब कुछ करवा लेता है । स्कूल, दफ्तर, और बाजारों की रौनक को मानो सांप सूंघ गया । फूंक फूंक कर कदम रखते हुए, ऑनलाइन बिजनेस शुरू हुआ, हर घर स्कूल और दफ्तर में तब्दील होता चला गया ।।
बड़े बड़े शहरों की आईटी कंपनीज़ में ताले लग गए,बच्चों के हॉस्टल खाली करवा लिए गए और मजबूरी में जो जहां था,वह वहीं स्टेच्यू बनकर रह गया । बड़ी बड़ी आइटी कंपनीज ने भी सुरक्षा और सुविधा की दृष्टि से यही निर्णय लिया कि अधिकांश कर्मचारी घर बैठकर ऑनलाइन ही ड्यूटी देते रहे । घाटे में चल रही कंपनीज ने भी अपने रख रखाव और स्थापना (एस्टेब्लिशमेंट) के खर्चे में कटौती शुरू कर दी ।
आज बच्चे छुट्टियों में भी घर आते हैं,तो उनका ऑफिस भी साथ ही रहता है । अगर बेटे बहू/बेटी दामाद दोनों आईटी वाले हैं ,तो छुट्टियों में भी उनका दफ्तर घर से ही चलता रहता है । कुछ बच्चे तो कोरोना के बाद से ही वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं । बस बीच बीच में कुछ समय के लिए कंपनी उन्हें बुला लेती है ।।
बच्चे जब बड़े,समझदार और जिम्मेदार हो जाते हैं,तो उनके रहते हुए भी घर में शांति और अनुशासन कायम रहता है । वर्क फ्रॉम होम में शैतानी और मक्कारी नहीं चलती । यह कोई सरकारी दफ्तर नहीं है ।
शादियों की फिजूलखर्ची इन्हें रास नहीं आती । घर से दूर रहने के कारण खाना भी ऑनलाइन ही आ जाता है । शादी भी अपनी पसंद से ही होती है, इसलिए दोनों पति पत्नी काम काजी होने के कारण एक दूसरे की समस्या अधिक अच्छी तरह से समझते हैं ।।
अगर आज की पीढ़ी का वर्क फ्रॉम होम आगे भी इसी तरह जारी रहा, तो वह दिन दूर नहीं, जब शादी के बाद हनीमून की छुट्टियों में भी इनका वर्क फ्रॉम होम जारी रहेगा । क्यों महीने भर की छुट्टी बिगाड़ें । दिन भर वर्क फ्रॉम होटेल और रात में होम वर्क । वैसे वीक एंड है ही घूमने फिरने और सैर सपाटे के लिए ..!!
© श्री प्रदीप शर्मा
संपर्क – १०१, साहिल रिजेंसी, रोबोट स्क्वायर, MR 9, इंदौर
मो 8319180002
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈