श्री प्रदीप शर्मा
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “बादाम के दाम…“।)
अभी अभी # 557 ⇒ बादाम के दाम श्री प्रदीप शर्मा
सभी जानते हैं, यह आम का नहीं, बादाम का मौसम है, और बादाम का जन्म आम आदमी के लिए नहीं हुआ है। जब से यह आम भी कुछ खास हुआ है, बादाम भी थोड़ा थोड़ा आम हुआ है। आम आदमी भी आजकल, कम से कम, मैंगो शेक और बादाम शेक तो पीने लायक हो ही गया है।
आम अगर फलों का राजा है, तो बादाम सिर्फ़ एक ड्राई फ्रूट यानी सूखा मेवा! ड्राई फ्रूट मतलब रस हीन फल! जिनका जीवन वैसे ही नीरस है, उनका काम ड्राई फ्रूट अथवा सूखे मेवे से नहीं चलता, और जिन्हें अपना गला तर करना होता है, वहाँ देश, काल और परिस्थिति नहीं देखी जाती और अंगूर की बेटी का हाथ थाम लिया जाता है। एक बार जब गला तर होता है, तो कुछ चखना भी पड़ता है। जिन्होंने कभी चखी ही नहीं, वे क्या जानें चखना का स्वाद! हां, जहां माले मुफ़्त बेरहम होता है वहां भुने हुए काजू बादाम भी चखना का ही काम करते हैं।।
लेकिन जो रसिक और शौकीन चखने में विश्वास नहीं रखते, उनके लिए अगर ठंड में बादाम के जलवे हैं, तो गर्मी में हमारे आम के भी ठाठ निराले हैं। गर्मी में अगर आमरस पूड़ी, तो ठंड में बादाम का हलवा। लेकिन बस आम आदमी बादाम के दाम सुनकर ही बिदक जाता है।
आम के आम और गुठलियों के दाम! लेकिन आम आदमी गुठलियों के दाम की चिंता नहीं करता, आम चूसता है और छिलका और गुठली फेंक देता है। बेचारी बादाम, क्या नहाए और क्या निचोड़े! उसका तो छिलका क्या निकला, वह सिर्फ बादाम की गिरी बनकर रह गई। लेकिन उसके दाम के कारण ही उसे समाज में वह इज्जत और सम्मान प्राप्त है जो फलों के राजा को भी नहीं।।
बादाम के दाम चुकाने के बाद भी अगर हम बादाम के गुणों की तारीफ नहीं करें, तो हम उसके साथ न्याय नहीं कर रहे। पांच वर्ष की उम्र से हम सुनते आ रहे हैं कि रोज सुबह पांच भीगी हुई बादाम खाना चाहिए उससे सेहत और मस्तिष्क दोनों स्वस्थ रहते हैं। आम आपको एक आम इंसान ही बनाए रखता है जब कि बादाम आपको बुद्धिमान भी बनाती है।।
जब हमारे बादाम खाने के दिन थे, तब हम भुने हुए चने और मूंगफली खाकर ही अपनी सेहत बनाते थे। जब सर पर बाल ना हों, और मुंह में दांत, और याददाश्त भी जवाब दे गई हो, तब बादाम की याद आ ही जाती है। देर आयद दुरुस्त आयद।
क्या आप जानते हैं, बादाम का भी तेल निकलता है। कैसा लगता होगा इतनी महंगी बादाम को, जब उसका भी तेल निकलता होगा। हम तो यह सोचकर ही हैरान हैं कि जो बादाम ही इतनी महंगी है, उसका तेल कितना महंगा होगा।
यहां तो सरसों, मूंगफली और सोयाबीन के तेल के भाव ही आसमान छू रहे हैं। लेकिन अगर कॉस्मेटिक्स के विज्ञापन देखें तो वहां ककड़ी, आंवला, मेंहदी, क्रीम और बादाम साथ साथ नजर आयेंगे। कहीं फेसवॉश तो कहीं मॉइश्चराइजर। पूरा समाजवाद है सौंदर्य जगत के उत्पादों में।।
भले ही इंसान का तेल निकल जाए फिर भी कुछ लोग नियमित रूप से बादाम का तेल सर में लगाते हैं और उसी तेल से बदन की मालिश भी करते हैं। जान है तो जहान है। यह जनम ना मिलेगा दोबारा। पैसे को हाथ का मैल यूं ही नहीं कहा गया है। अगर आप अफोर्ड कर सकते हैं तो हम कोई आपको फोर्ड खरीदने का नहीं कह रहे, सिर्फ एक चम्मच बादाम का तेल गर्मागर्म दूध में लेकर देखें। बादाम में दम है ..! !
© श्री प्रदीप शर्मा
संपर्क – १०१, साहिल रिजेंसी, रोबोट स्क्वायर, MR 9, इंदौर
मो 8319180002
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈