श्री प्रदीप शर्मा

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “जगजीत सिंह के सुर और निदा फजली के गीत।)

?अभी अभी # 601 ⇒ जगजीत सिंह के सुर और निदा फजली के गीत ? श्री प्रदीप शर्मा  ?

आज प्रसिद्ध शायर निदा फाजली की पुण्यतिथि और ग़ज़ल गायकी के जादूगर जगजीतसिंह का जन्मदिन है। पहले गीत जन्म लेता है,फिर गायक उसे अपना स्वर देता है। इन दोनों के लिए ही शायद पहले कभी कहा गया होगा ;

तेरे सुर और मेरे गीत

आज बनेंगे दोनों मीत

जी हां ! ये दोनों मीत ही थे । मित्र ही को तो मीत कहते हैं। हर गीतकार की यही दिली तमन्ना होती है कि उसके गीत अमर जो जाएं ;

होठों को छू लो तुम,

मेरे गीत अमर कर दो

और निदा फ़ाज़ली की जितनी भी ग़ज़लों को इस पारस ने बस,छू भर दिया, उनकी किस्मत बदल गई ;

दुनिया जिसे कहते हैं,

जादू का खिलौना है ।

मिल जाए तो मिट्टी है,

खो जाए तो सोना है ।।

और

होश वालों को खबर क्या,

बेखुदी क्या चीज़ है ।

इश्क़ कीजे,फिर समझिए

ज़िन्दगी क्या चीज़ है ।।

आज निदा साहब को उनकी शायरी के लिए याद किया जा रहा है तो जगजीतसिंह को अपनी गायकी के लिए। गीत और गायकी की इस जुगल जोड़ी का भावपूर्ण मधुर स्मरण …

♥ ♥ ♥ ♥ ♥

© श्री प्रदीप शर्मा

संपर्क – १०१, साहिल रिजेंसी, रोबोट स्क्वायर, MR 9, इंदौर

मो 8319180002≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

 

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