श्री प्रदीप शर्मा
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपकी कविता – “ओ रंगरेज…“।)
अभी अभी # 635 ⇒ ओ रंगरेज
श्री प्रदीप शर्मा
ओ रंगरेज
इस होली पर
तू रंग दे मेरी जेब ।
सुना है,
भरी जेब
रंग लाती है
रौब लाती है
और कपड़ों के
लिए वॉर्डरोब
लाती है ।।
मेरे देश में
सबकी सदा
भरी रहे जेब ,
रंगत हो चेहरे पर
संगत हो संतों की
सज्जन पुरुषों की ।
तू ही मसीहा
तू ही रहबर
तेरे किस्से हैरतअंगेज
ना गरीबी हो
ना मुफलिसी हो
सब ओर हो
अमन चैन ,
ना हो चेहरा उदास
भरी भरी रहे जेब
ओ रंगरेज
तू भर दे मेरी जेब ।।
© श्री प्रदीप शर्मा
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