श्री प्रदीप शर्मा

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका व्यंग्य – “भाग कर शादी।)

?अभी अभी # 662 ⇒ भाग कर शादी ? श्री प्रदीप शर्मा  ?

क्या कभी आपने भागकर शादी की है ? आदमी मुसीबत से बच सकता है, परिस्थितियों से लड़ सकता है, लेकिन शादी से नहीं बच सकता। देखिए, ये मोहतरमा क्या फरमाती हैं ;

कोई कह दे, कह दे, कह दे ज़माने से जा के,

कि हम घबरा के

मोहब्ब्त कर बैठे

हाय मोहब्ब्त कर बैठे …

यानी इसी तरह, कोई इश्क का मारा, जमाने से घबराकर, भागकर शादी भी कर सकता है। लेकिन क्या इसके लिए भागना जरूरी है। अगर आप कड़के नहीं हो, तो गाड़ी घोड़े से भी जा सकते हो।

हो सकता है, लड़की पैसे वाली हो, और आपके कहने पर, फिल्मी अंदाज़ में, अंधेरी रात में, घर वालों की आंख में धूल झोंककर नकदी और जेवर सहित आपके साथ भाग निकले।

लेकिन हम जानते हैं, आप ऐसे इंसान नहीं हो।

हमारे साथ तो कुछ उल्टा ही हुआ। हमें शादी नहीं करनी थी, और परिवार वाले हमारी जबरदस्ती शादी कर रहे थे, और वह भी उनकी पसंद की हुई लड़की से। हमारे पास भागने के अलावा कोई चारा नहीं था। यानी हमने भागकर शादी नहीं की, शादी के नाम से ही हम भाग खड़े हुए।।

शिवाजी महाराज के गुरु हुए हैं, समर्थ रामदास, जी हां वही दासबोध वाले। सुना है, शादी का शब्द सुनते ही वे सावधान हो गए थे, यानी भाग खड़े हुए थे। आज भी विवाह के शुभ प्रसंग पर कुर्यात सदा मंगलम् के साथ सावधान शब्द भी जोड़ा जाता है।

अगर भाग नहीं सकते, तो कम से कम सावधान, अर्थात् जाग तो सकते हो। आगे आपकी मर्जी।

कहीं कहीं जीवन में ऐसे नाजुक क्षण आते हैं कि जल्दबाजी में शादी करनी पड़ती है, कहीं दादा जी अंतिम सांसें गिन रहे होते हैं तो कहीं किसी श्रवणकुमार को कसम दिलवा दी जाती है, अगर तूने आठ रोज में इस लड़की से शादी नहीं की, तो तू मेरा मरा मुंह देखेगा। और वह बेचारा कसम का मारा, अपना सर कढ़ाई में दे मारता है और उधर किसी की पांचों उंगलियां घी में हो जाती है। जो लोग सिर्फ मजबूरी को जानते हैं, महात्मा गांधी को नहीं, वे जीवन भर ऐसे इंसान को सुनाया करते हैं, लड़कियां कहां भागी जा रही थी, जो तुमने उस लड़की से शादी कर ली, जिसे तुम पसंद ही नहीं करते थे।।

इसे क्या कहेंगे, पसंद किसी और की, और नसीब अपना। वैसे बात निकली है तो बता दूं, पूरे सम्मान और संजीदगी के साथ अगर विचार किया जाए तो सदाबहार गायक, अभिनेता, हास्य सम्राट कहे जाने वाले चार चार पत्नियों के पति किशोर कुमार जी भी यही कहते पाए गए हैं ;

कुंए में कूद के मर जाना

यार तुम शादी मत करना ..

हम भी जाते जाते युवा पीढ़ी को यह संदेश देकर जाना चाहते हैं ;

कुंए में कूद के मर जाना

यार तुम भाग कर शादी मर करना …

प्रेम से शादी करें। सबकी मर्जी से करें, अथवा मनमर्जी से। नहीं तो हमारी तरह आप भी कहते रहेंगे। शादी अरेंज्ड थी अथवा लव मैरेज? और हम सर झुकाकर जवाब देते हैं, जी लव मैरेज नहीं, अरेंज्ड ही थी।।

♥ ♥ ♥ ♥ ♥

© श्री प्रदीप शर्मा

संपर्क – १०१, साहिल रिजेंसी, रोबोट स्क्वायर, MR 9, इंदौर

मो 8319180002

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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