श्री अजीत सिंह
(हमारे आग्रह पर श्री अजीत सिंह जी (पूर्व समाचार निदेशक, दूरदर्शन) हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए विचारणीय आलेख, वार्ताएं, संस्मरण साझा करते रहते हैं। इसके लिए हम उनके हृदय से आभारी हैं। आज प्रस्तुत है आपका एक प्रेरक संस्मरणात्मक प्रसंग ‘आओ दिलदार चलें, चांद के पार चलें…’।)
☆ आलेख – आओ दिलदार चलें, चांद के पार चलें… ☆ श्री अजीत सिंह, पूर्व समाचार निदेशक, दूरदर्शन ☆
भारतीय सूचना सेवा की नौकरी में आने से कोई दो साल पहले और कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से बी एस सी की पढ़ाई पूरी करने के दो साल बाद की एक घटना मेरे ज़हन में आज भी बसी हुई है।
कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में ही कुछ मित्रों के साथ रहते हुए मैं और मेरे कुछ दोस्त यू पी एस सी की परीक्षाओं की तैयारी में लगे रहते थे। कभी कभार मौज मस्ती के लिए पास के गांवों में रह रहे दोस्तों के पास भी चले जाते थे। ऐसी ही एक पार्टी हमने पास के गांव मिर्ज़ापुर में आयोजित की थी। 21 जुलाई का दिन था 54 साल पहले।
उस दिन रेडियो पर आंखों देखा हाल सुनाया जा रहा था। हम सभी ने कुछ ज़्यादा मौज मस्ती नहीं की। बस रेडियो से कान लगाए बैठे थे। टेलीविजन उस वक्त बस दिल्ली में था।
रेडियो सुनते सुनते आधी रात गुज़र गई। एक बज गया। डेढ़ बज गया। पर वो समाचार नहीं मिला जिसका इंतजार था।
और फिर अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग की आवाज़ आई …
… मानव के लिए यह छोटा सा कदम है, पर मानवता के लिए एक बड़ी छलांग…
जी हां पहला मानव चांद पर पहुंच चुका था। बहुत बड़ी घटना थी यह उस समय की। शायद सर्वकालिक।
और हां, कुछ लोग उस समय आदमी के चांद पर पहुंचने की बात को मानते भी नहीं थे।
नील आर्मस्ट्रांग कई साल बाद भारत भी आए थे।
बस भारत का चंद्रयान लैंडर विक्रम भी चांद पर सफलतापूर्वक उतर गया है। आज भी मैं उतना ही उत्साहित हूं। इसी उत्साह ने पुरानी यादें मस्तिष्क पटल पर लाकर रख दी।
आपने याद दिलाया तो मुझे याद आया….
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© श्री अजीत सिंह
पूर्व समाचार निदेशक, दूरदर्शन हिसार।
23.08.2023
मो : 9466647037
(लेखक श्री अजीत सिंह हिसार से स्वतंत्र पत्रकार हैं । वे 2006 में दूरदर्शन केंद्र हिसार के समाचार निदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए।)
≈ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈