श्री राकेश कुमार
(श्री राकेश कुमार जी भारतीय स्टेट बैंक से 37 वर्ष सेवा के उपरांत वरिष्ठ अधिकारी के पद पर मुंबई से 2016 में सेवानिवृत। बैंक की सेवा में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान के विभिन्न शहरों और वहाँ की संस्कृति को करीब से देखने का अवसर मिला। उनके आत्मकथ्य स्वरुप – “संभवतः मेरी रचनाएँ मेरी स्मृतियों और अनुभवों का लेखा जोखा है।” आज प्रस्तुत है नवीन आलेख की शृंखला – “ परदेश ” की अगली कड़ी।)
☆ आलेख ☆ परदेश – भाग – जश्ने आज़ादी ☆ श्री राकेश कुमार ☆
आज पंद्रह अगस्त तो है, नहीं आप कहेेंगे तो स्वतंत्रता दिवस के मानने की बात क्यों हो रही हैं?
चार जुलाई को अमेरिका भी स्वतंत्र हुआ था, इसलिए विगत कुछ दिनों से यहां उल्लास और आनंद का माहौल बना हुआ है।
हमारे देश के झंडे को हम तिरंगा कह कर भी संबोधित करते हैं, उसी प्रकार से अमेरिका के झंडे में भी तीन रंग लाल, नीला और सफेद रंग होते हैं।हमारे देश के साथ इनकी एक और समानता है,इनके देश पर भी ब्रिटिश कॉलोनी का साम्राज्य था।हमारा देश इस वर्ष स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मना रहा है,लेकिन इनकी आज़ादी तो करीब अढ़ाई सौ वर्ष पुरानी हैं।
चार जुलाई को तो पूरे देश में अवकाश रहता है,इसके अलावा कुछ संस्थानों ने एक जुलाई को भी अवकाश घोषित किया हुआ था, दो और तीन जुलाई क्रमशः शनि और रविवार के अवकाश थे।कुल मिलाकर यहां की भाषा में ” long weekend” है। प्रतिवर्ष इस मौके पर तीन से चार दिन का अवकाश हो ही जाता हैं। क्रिसमस/ नव वर्ष अवकाश के बाद स्वतंत्रता दिवस के समय ही ऐसे मौके आते हैं। हमारे देश में तो विभिन्न संप्रदायों/ संस्कृतियों के नाम से अनेक त्यौहार मनाए जाते है, जो विरले देश में ही होते होंगें।
बाजारवाद यहां भी मौके को भुनाने से नहीं चूकता,मन लुभावन छूट, दो खरीदने के साथ एक मुफ्त इत्यादि से बिक्री को बढ़ावा दिया जाता हैं।लंबे अवकाश का भरपूर मज़ा लेने के लिए यहां के लोग दूर दराज क्षेत्रों में भ्रमण या परिवार / मित्रों को मिलने के लिए उपयोग करते हैं।हवाई यात्रा,होटल इत्यादि में भी अग्रिम बुकिंग हो जाती है।मौसम भी खुशनुमा होता है,जिसका पूर्ण रूप से आनंद लेकर यहां के निवासी अपने आप को रिचार्ज कर लेते हैं। यहां पर भी कुछ स्थानों पर पटाखे/ आतिशबाजी के सार्वजनिक आयोजन किए जाते हैं।निजी तौर से पठाखे चलाने पर प्रतिबंधित हैं, लेकिन अपनी पिस्टल/ बंदूक से आप जब चाहे लोगों को भून सकते हैं।किसी विशेष दिन/ आयोजन की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं होती हैं।
© श्री राकेश कुमार
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