हिन्दी साहित्य – आलेख – ☆ भगवान परशुराम जयंती एवं अक्षय तृतीया पर्व ☆ – डॉ उमेश चंद्र शुक्ल

डॉ उमेश चन्द्र शुक्ल  

☆ भगवान परशुराम जयंती एवं अक्षय तृतीया पर्व ☆

भगवान परशुराम जयंती एवं अक्षय तृतीया पर्व पर  डॉ उमेश चंद्र शुक्ल जी का  विशेष  आलेख  उनके व्हाट्सएप्प  से साभार। )

आपको और आपके परिवार को परशुराम जयंती और अक्षय तृतीया की हार्दिक शुभकामनाएँ ।

 

वैशाखस्य सिते पक्षे तृतीयायां पुनर्वसौ।
निशाया: प्रथमे यामें रामाख्य: समये हरि:।।

स्वोच्चगै:षड्ग्रहैर्युक्ते मिथुने राहुसंस्थिते।
रेणुकायास्तु यो गर्भादवतीर्णो विभु: स्वयं।।

 

भगवान *परशुराम* स्वयं भगवान विष्णु के अवतार हैं। इनकी गणना दशावतारों में होती है। वैशाखमास के  शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को *पुनर्वसु* नक्षत्र में रात्रि के प्रथम प्रहर में उच्च के छः ग्रहों से युक्त मिथुन राशि पर राहु के स्थित रहते माता *रेणुका* के गर्भ से भगवान् परशुराम का प्रादुर्भाव हुआ।

दिग्भ्रमित समाज में अपने तपोबल और पराक्रम से समता और न्याय की स्थापना करने वाले भगवान परशुराम का जीवन अत्यंत प्रेरणादायी और अनुकरणीय है।

उनके आदर्शों पर चलने का हम सबको संकल्प लेना चाहिये।

© डॉ.उमेश चन्द्र शुक्ल
अध्यक्ष हिन्दी-विभाग परेल, मुंबई-12