☆ श्री गंगा दशहरा पर विशेष ☆
सुश्री सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’
(प्रस्तुत है श्रीमति सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’ जी की श्री गंगा दशहरा पर विशेष आलेख।)
गंगा माँ के लिये मेरी रचना – – -एक
गंगा के रूप में जल की धार देखिये।
देवी का स्वर्ग लोक से अवतार देखिये।
मोक्षदायिनी गंगा हैं मोक्ष का आधार ।
इसके जैसी नहीं कोई भी जल की धार ।
पितरों का करे तर्पण ले गंगा की धार।
ऋषि मुनि भी करते हैं जिसका सत्कार।
ब्रह्मलोक से गंगा को लिया धरती पर उतार।
भागीरथ ने दिया इसे मोक्ष का आधार।
सारा जगत करें हैं पूजा वो है गंगा की धार।
सदियों से चली आई है गंगा जल की धार।
मानव करें व्यवहार गंगा करें उपकार।
कूड़ा करकट भी बहाए दूषित करे व्यवहार।
नहीं बदली है गंगा ये कैसा है उपकार।
गंगा से करें प्यार बने सभी दिलदार।
इसके जैसी नहीं कोई भी जल की धार ।
माँ गंगा का उपकार सदियों तक रहे याद।…….
© श्रीमति सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’
जबलपुर, मध्य प्रदेश