श्री राकेश कुमार
(श्री राकेश कुमार जी भारतीय स्टेट बैंक से 37 वर्ष सेवा के उपरांत वरिष्ठ अधिकारी के पद पर मुंबई से 2016 में सेवानिवृत। बैंक की सेवा में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान के विभिन्न शहरों और वहाँ की संस्कृति को करीब से देखने का अवसर मिला। उनके आत्मकथ्य स्वरुप – “संभवतः मेरी रचनाएँ मेरी स्मृतियों और अनुभवों का लेखा जोखा है।” आज प्रस्तुत है आलेख – “श्वान प्रेम”।)
☆ आलेख ☆ श्वान प्रेम ☆ श्री राकेश कुमार ☆
कुत्ता शब्द थोड़ा कुत्ता सा लगता हैं।इसलिए विचार किया की इसका प्रयावची शब्द उपयुक्त रहेगा। विगत एक सप्ताह से सभी सामाजिक मंचो पर चर्चाएं चल रही हैं। जब तक कोई और इसी प्रकार की चटपटी घटना नहीं हो जाती, श्वान चर्चा जारी रहेगी।
देश की सबसे बड़ी पशु प्रेमी ने चर्चित श्वान के मालिक के स्थानांतरण परआपत्ति जता कर अपने पशु प्रेम का इज़हार किया है। एक पूर्व महिला अधिकारी ने श्वान मालिक को सजा (स्थानांतरण) देने के दूसरे साधन की सलाह तक दे डाली है।
“जितने मुंह उतनी बातें” वाला सिद्धांत भी यहां सही बैठता हैं।
हमारा श्वान “शेरू” भी हमें कई वर्षो से “प्रातः भ्रमण” पर नियमित रूप से एक सरकारी उद्यान में लेकर जाता हैं वहां पर उसकी जाति के कई साथी मिल जाते हैं, उसी प्रकार से हमारी जाति के कई फुरसतिए भी वहां अपने श्वानों के साथ उपस्थित रहते हैं।
कल सुबह सरकारी उद्यान पर एक दरबान खड़ा था, और कहने लगा श्वान का प्रवेश वर्जित है। ऐसा संदेश ऊपर से आया है। हम सभी श्वान प्रेमी निराश होकर वापिस घरों में आ गए। अंग्रेजी की एक कहावत है “Bad habits die hard”. आज सुबह भी सभी श्वान प्रेमी उद्यान पहुंच गए। क्या करें, आदत से मजबूर जो हैं। परंतु उद्यान के दरवाज़े पर भीड़ का जमावड़ा देखकर आश्चर्य हुआ। उद्यान में कोई नहीं जा रहा था। पूछने पर पता चला कि कोई पागल श्वान उद्यान में लोगों को काटने के लिए पीछे पड़ जाता हैं। वो एक गली का कुत्ता (street dog),अंग्रेजी शब्द अच्छा लगता हैं न, इसलिए लिख दिया है, जो उद्यान में घूमता रहता है, सैर करने वाले उसके लिए रोटी, बिस्कुट इत्यादि दे देते थे। लेकिन दो दिन से उद्यान में लगे प्रतिबंधों के कारण वो भूखा है, इसलिए ऐसी हरकतें कर रहा है।
ठीक भी है, भूख जब इंसान को हैवान बना देती है, और ये तो फिर बेजान प्राणी हैं। लोग दरबान को कहने लगे अब इसको बाहर निकाल कर बताओ, हमारे श्वान का प्रवेश तो निषेध कर दिया है। तब दरबान बोला इसको नगर निगम की टीम पकड़ कर ले जायेगी तभी आप लोग उद्यान में जा सकते हैं। तभी भीड़ में से किसी ने अपने साथ लाई हुई दो रोटियां जोर से उद्यान के अंदर फेंक दी और भूखे श्वान ने भी लपक कर अपनी भूख शांत करी और उद्यान की दीवार फांद कर दौड़ लगा दी। उसके बाद वहां खड़े लोग भी उद्यान की तरफ दौड़ पड़े।
© श्री राकेश कुमार
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