श्री अमरेंद्र नारायण
(ई-अभिव्यक्ति पर एक अभियान की तरह समय-समय पर “संदर्भ: एकता शक्ति” के अंतर्गत चुनिंदा रचनाएँ पाठकों से साझा करते रहते हैं। हमारा आग्रह है कि इस विषय पर अपनी सकारात्मक एवं सार्थक रचनाएँ प्रेषित करें। आज प्रस्तुत है श्री अमरेन्द्र नारायण जी का डॉ राजेंद्र प्रसाद जी के जन्मदिवस पर एक विशेष आलेख अनमोल रत्न : देशरत्न।)
☆ सन्दर्भ: एकता शक्ति ☆ डॉ राजेंद्र प्रसाद जन्मदिवस विशेष – अनमोल रत्न:देशरत्न ☆
देशरत्न डाॅ.राजेन्द्र प्रसाद एक अनमोल रत्न थे। वे प्रखर प्रतिभाशाली थे और उनकी स्मरण शक्ति अद्भुत थी। देश प्रेम,सादगी और कर्तव्य परायणता से ओत- प्रोत उनका जीवन एक तपोनिष्ठ कर्मयोगी का जीवन था। वे अपने विद्यार्थी जीवन से ही देश सेवा से सम्बंधित कार्यों में संलग्न थे। वे चम्पारण सत्याग्रह में गांधी जी के निकट सम्पर्क में आये और उनके जीवन भर अनन्य सहयोगी बने रहे। उन्होंने अपनी मुद्रा वर्षिणी वकालत छोड़ दी और स्वतंत्रता संग्राम में ऐसे समय में कूद पड़े जब त्यागी और मनसा-वाचा-कर्मणा समर्पित देश प्रेमियों की देश को बहुत आवश्यकता थी। चाहे सेवा कार्य हो या रचनात्मक कार्यक्रम का नेतृत्व करना हो, शिक्षा का प्रसार करना हो, कांग्रेस संगठन के कार्य हों, सरकार में मंत्री का दायित्व संभालना हो या आगे चलकर संविधान सभा के अध्यक्ष का अत्यंत महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व वहन करना हो-उन्होंने अपनी कर्तव्य परायणता और कार्य कुशलता से सभी दायित्वों का अत्यंत सफलता पूर्वक निर्वाह किया।
यह हमारा सौभाग्य था कि वे देश के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में प्रतिष्ठित हुये।
उनके विषय में सरोजिनी नायडू ने लिखा था: “मुझे कुछ दिनों पूर्व राजेन्द्र बाबू पर एक वाक्य लिखने को कहा गया था। मैंने उत्तर दिया था कि मैं वैसा तभी कर सकती हूं जब मेरे हाथों में शहद की दावात में डूबी सोने की कलम हो क्योंकि विश्व की सारी स्याही उनके गुणों का वर्णन और उनके प्रति आभार प्रगट करने के लिए पर्याप्त नहीं होगी। “
लेकिन आज उनके महान व्यक्तित्व के कई पहलुओं से बहुत लोग अपरिचित से हैं। उनके योगदान को उचित सम्मान नहीं मिल पाया है। यहां तक कि संविधान निर्माण में उनकी अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख नहीं होता, पटना में उनकी समाधि उपेक्षित सी है और उनके जन्म दिवस एवं उनकी पुण्य तिथि पर मात्र औपचारिकता का निर्वाह कर दिया जाता है।
यह हमारा कर्तव्य है कि हम देशरत्न के विलक्षण व्यक्तित्व से लोगों को परिचित करायें और उनसे प्रेरणा लें। उनकी अद्वितीय प्रतिभा के सम्मान में उनके जन्म दिवस को राष्ट्रीय मेधा दिवस के रूप में मनाया जाये और प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं का सम्मान किया जाये,स्वतंत्रता आन्दोलन और संविधान निर्माण में उनकी अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका और राष्ट्रपति के पद पर उनके योगदान से लोगों को अवगत कराया जाये। विद्यालयों के पाठ्यक्रमों में उनके जीवन चरित को सम्मिलित किया जाये।
आईये, उनके महान व्यक्तित्व से प्रेरणा लेकर हम देशरत्न के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करें।
© श्री अमरेन्द्र नारायण
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अति उत्तम परिचय. एवं उद्गार।