श्री राकेश कुमार

(श्री राकेश कुमार जी भारतीय स्टेट बैंक से 37 वर्ष सेवा के उपरांत वरिष्ठ अधिकारी के पद पर मुंबई से 2016 में सेवानिवृत। बैंक की सेवा में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान के विभिन्न शहरों और वहाँ  की संस्कृति को करीब से देखने का अवसर मिला। उनके आत्मकथ्य स्वरुप – “संभवतः मेरी रचनाएँ मेरी स्मृतियों और अनुभवों का लेखा जोखा है।” ज प्रस्तुत है आलेख – “सात समंदर पार” की अंतिम कड़ी।)

☆ आलेख ☆ सात समंदर पार – भाग – 7 (अंतिम भाग) ☆ श्री राकेश कुमार ☆

यात्रा के दूसरे और अंतिम चरण में दुबई से विमान ने पंख फैलाए और यूरोप के ऊपर से शिकागो (अमेरिका) के लिए रास्ते में पड़ने वाला समुद्र फांदने लग गया। विमान में सभी की सीट के सामने स्क्रीन की सुविधा उपलब्ध रहती है। आप चाहें तो फिल्म इत्यादि देख कर मनोरंजन कर सकते हैं। विमान के बाहर लगे कैमरे से खुले आकाश के दृश्य का भी आनंद लिया जा सकता हैं। एक अन्य स्क्रीन पर आपके विमान की स्थिति, गति,  गंतव्य स्थान से दूरी इत्यादि की जानकारी पल पल में संशोधित होती रहती हैं।

विमान में नब्बे प्रतिशत से अधिक हमारे देश के लोग ही थे। नाश्ते में दक्षिण भारत के व्यंजन परोसे गए थे, पास में बैठे उत्तर भारत के एक सज्जन कहने लगे इससे अच्छा तो आलू पूरी या पराठा देना चाहिए था।हम लोग खाने पीने के बारे में कितने नखरे करते हैं।आने वाले समय में हो सकता है,आपके मन पसंद भोजन की मांग की पूर्ति के लिए स्विगी इत्यादि कंपनियां ड्रोन द्वारा खाद्य प्रदार्थ विमान की खिड़की से उपलब्ध करवा सकती हैं। रेल यात्रा में तो कई भोजनालय चुनिंदा स्टेशन पर खाद्य सामग्री आपकी सीट पर  पहुंचा देते हैं।                              

पंद्रह घंटे की यात्रा में तीन बार  खान पान की सेवा का आनंद लेते हुए विमान शिकागो की धरती पर कब पहुंच गया पता ही नहीं चला।

© श्री राकेश कुमार

संपर्क –  B  508 शिवज्ञान एनक्लेव, निर्माण नगर AB ब्लॉक, जयपुर-302 019 (राजस्थान) 

मोबाईल 9920832096

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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