श्री सूरज कुमार सिंह
☆ दी एस्ट्रो वेइल ☆
(ई-अभिव्यक्ति में मानवता के लिए एक सार्थक संदेश की कल्पना के साथ यह पहली अन्तरिक्ष विज्ञान पर आधारित लघुकथा है जो युवा साहित्यकार श्री सूरज कुमार सिंह द्वारा लिखी गई है । यह लघुकथा हमें पर्यावरण के अतिरिक्त मानव जीवन के कई पहलुओं पर प्रकाश डालती है। हिन्दी साहित्य में ऐसे सकारात्मक प्रयोगों की आवश्यकता है । )
त्रयाक के नियंत्रण कक्ष तथा कमान कक्ष मे काफ़ी चहल-पहल थी। और होती भी क्यों न? त्राको वासियों का यह दल सिग्नस-अ आकाशगंगा से छह सौ करोड़ प्रकाश वर्ष की दूरी तय कर मिल्कीवे आकाशगंगा पहुँच चुके थे और उनका यान त्रयाक सौर मंडल के छोर पर आकर रुक चूका था l अब त्रयाक के कर्मी सबसे महत्वपूर्ण कार्य की तैयारी में जुट गए। पृथ्वी पर एक चालक रहित यान भेज कर यह सुनिश्चित करना की पृथ्वी की सतह तथा जीव दोनों अनुकूल हैं या नही। हालाँकि पिछले कई
वर्षो से जिस पृथ्वी से त्राको वासियों को लगातार रेडियो सिग्नल मिल रहे थे उस गृह के जीवों से वे एक दोस्ताना रवैये की ही उम्मीद कर रहे थे परन्तु प्रोटोकॉल तो प्रोटोकॉल था। न चाहते हुए भी टोह लेना आवश्यक था। तो परिणामस्वरूप चालक रहित यानों को त्रयाक से उतारा गया और पृथ्वी की ओर रवाना किया गया। इन यानों से मिलने वाले डाटा को रिसीव कर उनकी समीक्षा और एनालिसिस करने को त्रयाक का हर कर्मी उत्साहित था। वे तो सोच रहे थे की कब इन यानों से जानकारियां आना शुरू हो जाए और कब मानव तथा अन्य प्रजातियों से सीधा संपर्क करने को हम पृथ्वी पर उतरें। यानों ने पृथ्वी की कक्षा को इंटरसेप्ट किया और फिर वायुमंडल मे दाखिल होने लगे। त्राको वासियों की बेसब्री बढ़ते ही जा रही थी। पृथ्वी पर मानव के आलावा भी कई प्रजातियां हैं वे पहले से जानते थे और यह भी मान चुके थे की मानव एक इंटेलीजेंट प्रजाति है। अन्यथा इतने स्पष्ट रेडियो सिग्नल इतने दूर अंतरिक्ष मे कैसे भेज पाते? बस अब देरी थी तो उनको और बेहतर ढंग से समझने की और उनसे सीधा संपर्क बनाने की।
पांचो टोही यानों से डाटा आने शुरू हो गए। अभी पृथ्वी के समय के हिसाब से कुछ मिनट हुए ही होंगे की पांच मे से एक यान ने अपने ओर तेज़ गति से आ रहे कुछ हथियारों को इंटरसेप्ट किया। उस यान ने आसानी से खुद को उन हाथियों की पथ में आने से बचा तो लिया परन्तु हमले जारी रहे। यान ने इनके सोर्स का पता लगाया और उनकी पहुँच से दूर चला गया। दरअसल वे अमरीकी मिसाइलें थीं। जो पैसिफ़िक के उन अमरीकी द्वीपों पर तैनात थीं जिनके ऊपर से वो यान गुज़र रहा था। शायद उन्होंने त्राको अंतरिक्ष यान को कोई दक्षिण-कोरियाई मिसाइल समझ लिया था। अब त्रयाक पर मौजूद नियंत्रण कर्मी और उनके लीडरों का महकमा सकते मे आ गया था! इस किस्म के व्यवहार की किसी ने भी उम्मीद नही की थी। किसी ने भी नही सोचा था की पृथ्वी वासी हथियारों से स्वागत करेंगे। पर फिर भी टोही मिशन को जारी रखने की अनुमति वैज्ञानिक दल की सलाह के बाद कमांडर ने थोड़ी हिचकिचाहट के बाद दे दी। खैर टोही यानों ने अपना काम जारी रखा और डाटा त्रयाक तक पहुंचाते रहे। इस कार्य की पूर्ति के बाद पांचो टोही यान वापस बुला लिए गए। काफी ज़्यादा डाटा एकत्रित हो चूका था। इसे पूरी तरह एनालाइज़ करने मे थोड़ा वक़्त लगा। परन्तु फिर भी परिणाम काफी जल्दी मिल गए। परिणाम काफी चौंकाने वाले साबित हुए! इसकी रिपोर्ट बना कर कमांडर को तथा अन्य लीडरों को सौंप दी गयी। इस रिपोर्ट के अंत मे जो लिखा हुआ था वह सबके लिए एक बड़ा झटका था। लिखा हुआ था – मानवों मे से ज़्यादातर मानसिक रूप से विकृत है जो उन्हे हिंसावादी और तबाही-पसंद बनाता है। यह एक ऐसी प्रजाति के जीव हैं जो सिर्फ एक दूसरे को ही नही अपितु अन्य प्रजातियों को भी भरसक हानि पहुंचाते हैं। इनमे इंटेलीजेंट और शांतिप्रिय जन बहुत ही कम हैं। और जितने हैं उन्हे इन का समाज ईशनिंदा करने वाला बताकर धिक्कारता है। इनका समाज वैज्ञानिको की निंदा और धोखाधड़ों को पूजता है। इसलिए वे मेल-जोल के लायक नही हैं। इनसे किसी तरह का संपर्क हमे इनसे तालुकात रखने पर मजबूर कर देगा जो हमारे लिए घातक सिद्ध हो सकता है। कल को यह हमारी ही तकनीक का प्रयोग कर हम तक हथियारों के साथ पहुंच जाएँ तो यह हमारा क्या करेंगे कहना बड़ा मुश्किल है। इसलिए इनके समक्ष अपनी उपस्थिति उजागर करना मूर्खता है। जब रिपोर्ट मे इस गंभीर मानसिक विकृति तथा अधिक वक़्त मे कम तकनिकी तरक़्क़ी के मुख्य कारणों पर नज़र डाली गयी तो और भी रोचक बात सामने आयी! बताया गया की जब भी मानव जाति विज्ञान और तकनीक में तरक़्क़ी करने लगती है और मानव जाति का विकास होने लगता है, उसी वक़्त असामाजिक ताक़तें खुद सशक्त होने के लिए पूरी मानव जाति को पीछे धकेल देती है। इसलिए मानव जाति के विकास की गति बहुत धीमी है। साथ ही इन लोगों ने अपनी बुनियादी सम्पदाओं के दोहन के साथ-साथ प्रकृति को भी इतना नुक्सान पंहुचा दिया है की अब इनका पर्यावरण बचाया नहीं जा सकता।
कमांडर ने इस रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए सबसे कहा- इस रिपोर्ट में मौजूद तथ्यों को ध्यान मे लेते हुए आप सब को शायद अब कोई शक नही होगा कि मेरा निर्णय क्या होने वाला है। मै इस मिशन का कमांडर होने के नाते यह फैसला लेता हूँ की त्रयाक दल फ़िलहाल मानव जाति से कोई संपर्क स्थापित नही करेगा और हम पृथ्वी के सूर्य से त्रयाक के सभी इंजनों को रिचार्ज कर वापस अपनी आकाशगंगा की ओर चलेंगे। इस पर एक त्रको लीडर ने एतराज़ जताया। उनका कहना था कि सौर मंडल के सूर्य से इंजन रिचार्ज करने का अर्थ है सूर्य का फ्यूल कम कर देना। इससे सूर्य की उम्र कई गुना घट जाएगी। इसका सीधा असर भविष्य मे मानव तथा पृथ्वी की अन्य प्रजातियों पर पड़ेगा। तो क्या ऐसा करना उचित होगा। इस पर कमांडर ने उन्हें दिलासा दिया और कहा- मित्र मै आपकी चिंता समझता हूँ पर क्या आपको लगता है कि मानव जाति के पास इतना समय है भी।
© श्री सूरज कुमार सिंह, रांची
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