श्री नरेंद्र राणावत
☆ नासमझी ☆
पिछले दिनों जालौर शहर में रात्रि आवास हुआ।
उसी मध्यरात्रि तेज बारिश हुई। जल संधारण की कोई व्यवस्था नहीं थी । छत का पानी व्यर्थ ही बह गया।
सुबह हुई। परिवार के मुखिया ने अपनी पत्नी को आवाज लगाई- “बाथरूम में बाल्टी रखना टांके से पानी भरकर नहा लूँ।”
पत्नी बोली- “टंकी तो कल ही खाली हो गई है, नल अभी तक आया ही नहीं।”
रात को बारिश से उठी सौंधी गंध और टीन पर घण्टों तक टप-टप के मधुर संगीत ने जलसंग्रहण सन्देश की जो कुंडी खटखटाई थी, उसे नासमझों ने जब अनसुना कर दिया तो सुबह होते ही सूरज ने भी अपनी आँखें तरेरी, तपिश बढ़ाई और सभी को पसीने से तरबतर कर दिया।
© नरेंद्र राणावत ✍?
गांव-मूली, तहसील-चितलवाना, जिला-जालौर, राजस्थान
+919784881588
बढ़िया