श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’

(ई-अभिव्यक्ति में श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’ जी का स्वागत। पूर्व शिक्षिका – नेवी चिल्ड्रन स्कूल। वर्तमान में स्वतंत्र लेखन। विधा –  गीत,कविता, लघु कथाएं, कहानी,  संस्मरण,  आलेख, संवाद, नाटक, निबंध आदि। भाषा ज्ञान – हिंदी,अंग्रेजी, संस्कृत। साहित्यिक सेवा हेतु। कई प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय स्तर की साहित्यिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा अलंकृत / सम्मानित। ई-पत्रिका/ साझा संकलन/विभिन्न अखबारों /पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। पुस्तक – (1)उमा की काव्यांजली (काव्य संग्रह) (2) उड़ान (लघुकथा संग्रह), आहुति (ई पत्रिका)। शहर समता अखबार प्रयागराज की महिला विचार मंच की मध्य प्रदेश अध्यक्ष। आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय लघुकथा – अपनी ताकत।)

☆ लघुकथा – अपनी ताकत ☆ श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’

हेलो नमस्कार दीदी आपने मुझे पहचाना नहीं?

हेलो आपकी बड़ी मीठी आवाज है, मैं आपको नहीं पहचान पाई। आप कौन मुझे माफ करना सरला जी ने बड़ी सरलता पूर्वक कहा।

दीदी आप से मुलाकात हुई बहुत दिन हो गए आज जो आपके ऑफिस में मीटिंग  हैं उसमें मैं भी  हूं आप आ रही है न ।

हां एक कांफ्रेंस तो मेरे ऑफिस में होने वाली है?

हां दीदी  मैं समृद्धि राय) पीहू हूं।

अरे पीहू बेटा कैसी हो? सुना तुमने बहुत तरक्की कर ली वह जो बड़ा मॉल खुला है अब तुम्हारे भी उसमें आधे शेयर हो गए हैं मेरा आशीर्वाद सदैव तुम्हारे साथ है। आज तबीयत ठीक नहीं थी मीटिंग में नहीं आने वाली थी लेकिन आज ऑफिस तुमसे मिलने के लिए जरूर आऊंगी।

दीदी बहुत अच्छा लगेगा आप के आशीर्वाद से ही मैं इतनी आगे बढ़ चुकी हूं मीटिंग शुरू होने से थोड़ा पहले आप आ जाएंगी तो अच्छा रहेगा। हम लोग बात कर लेंगे क्योंकि मीटिंग के दौरान अपनी पर्सनल बातें नहीं हो पाएगी।

ओके तो सुबह 9:00 बजे मिलते हैं, सरला जी ने कहते हुए फोन रखा और अपने दैनिक काम को जल्दी से निपटाने लगी और अपने ड्राइवर को बुलाकर कहा कि आज छुट्टी नहीं है मुझे ऑफिस लेकर जल्दी चलो।

ठीक है मैडम पर आप तो आज मंदिर जाने को कह रही थी? नहीं मंदिर बाद में चली जाऊंगी ऑफिस में थोड़ा काम है तुम रुकना।

सरला जी 9:00 बजे ऑफिस पहुंची। ऑफिस में साफ सफाई चल रही थी मैडम कॉन्फ्रेंस तो 11:00 बजे से है आप इतनी जल्दी आ गई? हां, मैं थोड़ा जल्दी आ गई आज की मीटिंग की तैयारी करनी है वही देख रही हूं?

बेचारी सरला जी इधर से उधर घूमती रही और उनका मन किया कि पीहू को फोन करे, जिस नंबर पर आया था कि तुम कहां रह गई। तभी  उनके बॉस और सभी लोग आने लगें । उनके बॉस ने कहा-मीटिंग में एक मैडम आई हैं उनका नाम समृद्धि राय (पीहू)  वह कह रही थी आप उन्हें जानती हैं।

जी सर पर मैडम आई नहीं ।

मैडम होटल में रुकी हैं उनको लेने के लिए गाड़ी भेज दीजिए?

जी सर सरला जी ने कहा।

आप दरवाजे पर फूल लेकर खड़े हो जाइए जब मैडम आएंगी तो आप उनका स्वागत यह फूलों की माला पहनाकर करिएगा जिससे उस मॉल में हमारे ऑफिस में बनाए हुए प्रोडक्ट अच्छे से बिक सके, ध्यान रखिएगा। जी सर कहते हुए सरला जी कुछ उधेड़बुन में लगी थी तभी  पीहू आई ।

कैसी हैं आप बहुत दिन हो गया ।

सरला जी ने उनके गले में माला डाली और कहा बस आपका इंतजार कर रहे हैं ।

पीहू सरला जी को एक अभिमान भरी निगाह से देख रही थी और सभी लोग उससे पूछ रहे थे, मैडम आप चाय लेंगी या कुछ ठंडा मंगवाए। वह घमंड से सब की ओर देख रही थी और कह रही थी कि मुझे कुछ नहीं चाहिए आप लोग मीटिंग शुरू करिए और पेपर दिखाइए सरला मैडम।  सरला जी को अंदर ही अंदर बहुत बुरा लग रहा था पर अपने नाम की तरह ही व सरल थी वह उठकर गई और मन ही मन यह समझ चुकी थी कि इससे पुराने बॉस ने काम ना आने के कारण ऑफिस से निकाला था सब दिन एक समान नहीं होता है।

यह अपनी ताकत मुझे दिखा रही है…..।

© श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’

जबलपुर, मध्य प्रदेश मो. 7000072079

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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