श्री हरभगवान चावला
(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री हरभगवान चावला जी की अब तक पांच कविता संग्रह प्रकाशित। कई स्तरीय पत्र पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। कथादेश द्वारा लघुकथा एवं कहानी के लिए पुरस्कृत । हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा श्रेष्ठ कृति सम्मान। प्राचार्य पद से सेवानिवृत्ति के पश्चात स्वतंत्र लेखन।)
आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय लघुकथा – फ्लाइंग किस)
☆ लघुकथा – फ्लाइंग किस ☆ श्री हरभगवान चावला ☆
कवि खंडहर देखते-देखते थक गया तो एक पत्थर पर जा बैठा। पत्थर पर बैठते ही उसे एक कराह जैसी चीख़ सुनाई दी। उसने उठकर इधर-उधर देखा। कोई आसपास नहीं था। वह दूसरे एक पत्थर पर जा बैठा। ओह, फिर वैसी ही कराह! वह चौंक गया और उठकर एक तीसरे पत्थर पर आ गया। वहाँ बैठते ही फिर एक बार वही कराह! कवि डर गया और काँपती आवाज़ में चिल्ला उठा, “कौन है यहाँ?”
“डरो मत। तुम अवश्य ही कोई कलाकार हो। अब से पहले भी सैंकड़ों लोग इन पत्थरों पर बैठ चुके हैं, पर किसी को हमारी कराह नहीं सुनी। तुम कलाकार ही हो न!”
“मैं कवि हूँ। तुम कौन हो और दिखाई क्यों नहीं दे रहे हो?”
“हम दिखाई नहीं देते, सिर्फ़ सुनाई देते हैं। हम गीत हैं- स्वतंत्रता, समता और सद्भाव के गीत। हम कलाकारों के होठों पर रहा करते थे। एक ज़ालिम बादशाह ने कलाकारों को मार डाला। उनके होठों से बहते रक्त के साथ हम भी बहकर रेत में मिलकर लगभग निष्प्राण हो गये। हम साँस ले रहे हैं पर हममें प्राण नहीं हैं। हममें प्राण प्रतिष्ठा तब होगी जब कोई कलाकार हमें अपने होठों पर जगह देगा। क्या तुम हमें अपने होठों पर रहने दोगे कवि?”
© हरभगवान चावला
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≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈