सुश्री मीरा जैन
(सुप्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार सुश्री मीरा जैन जी की अब तक 9 पुस्तकें प्रकाशित – चार लघुकथा संग्रह , तीन लेख संग्रह एक कविता संग्रह ,एक व्यंग्य संग्रह, १००० से अधिक रचनाएँ देश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से व्यंग्य, लघुकथा व अन्य रचनाओं का प्रसारण। वर्ष २०११ में ‘मीरा जैन की सौ लघुकथाएं’पुस्तक पर विक्रम विश्वविद्यालय (उज्जैन) द्वारा शोध कार्य करवाया जा चुका है। अनेक भाषाओं में रचनाओं का अनुवाद प्रकाशित। कई अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय तथा राज्य स्तरीय पुरस्कारों से पुरस्कृत/अलंकृत। २०१९ में भारत सरकार के विद्वान लेखकों की सूची में आपका नाम दर्ज । प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट के पद पर पांच वर्ष तक बाल कल्याण समिति के सदस्य के रूप में अपनी सेवाएं उज्जैन जिले में प्रदत्त। बालिका-महिला सुरक्षा, उनका विकास, कन्या भ्रूण हत्या एवं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ आदि कई सामाजिक अभियानों में भी सतत संलग्न। पूर्व में आपकी लघुकथाओं का मराठी अनुवाद ई -अभिव्यक्ति (मराठी ) में प्रकाशित।
हम समय-समय पर आपकी लघुकथाओं को अपने प्रबुद्ध पाठकों से साझा करने का प्रयास करेंगे। इस कड़ी में आज प्रस्तुत है आपकी एक संवेदनशील लघुकथा मौन मुस्कुराहट। )
☆ कथा-कहानी : लघुकथा – मौन मुस्कुराहट ☆ सुश्री मीरा जैन ☆
खूबसूरत रिसोर्ट चहुंओर ओर भव्य नजारे शाही विवाहोत्सव, व्यवस्था देखते ही बनती थी इन सबके बीच सिर से पैर तक सजी सुनयना मुखड़े पर मुस्कुराहट लिये आने वाले हर आगंतुक का पूरी मुस्तैदी से ख्याल रख रही थी। कहीं कोई चूक ना हो जाये रात्री दस बजने को थे पैरों मे दर्द के बावजूद चेहरे की मुस्कुराहट ज्यों की त्यों कायम थी।
अनेक खाली कुर्सियां सुनयना को निहार रही थी लेकिन चाह कर भी वह बैठ नहीं सकती थी । अंतत: घर पहुँचते पहुँचते पैरों के दर्द ने चेहरे की मुस्कुराहट को आँसुओ मे विलीन कर दिया। सुनयना का मन घायल था क्योंकि-
‘ इन सबके बावजूद कल पैरों को पुनः इसी तरह चलना और चेहरे को फिर इसी तरह मुस्कुराना होगा क्योंकि वह वेटर जो ठहरी ‘
© मीरा जैन
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