श्री विजय कुमार
(आज प्रस्तुत है सुप्रसिद्ध एवं प्रतिष्ठित पत्रिका शुभ तारिका के सह-संपादक श्री विजय कुमार जी की एक विचारणीय लघुकथा “फ़ोन कॉल“।)
☆ लघुकथा – फ़ोन कॉल ☆
सीमा सुबह पति को ऑफिस भेजकर फटाफट अपने सभी काम निपटा रही थी, क्योंकि आज बिजली का बिल जमा करवाने की अंतिम तिथि थी, अत: उसे बिजली का बिल भरने जाना था। तभी उसके मोबाइल की घंटी बजी, काम छोड़कर सीमा ने मोबाइल उठाया, “हेल्लो, कौन बोल रहे हैं?”
“जी, मैं बैंक से रामकुमार बोल रहा हूँ। आपका एटीएम कार्ड ब्लाक हो गया है। आप अपने एटीएम कार्ड का सोलह डिजिट का नंबर बताएं। इसे नया बना कर दो घंटे में आपका एटीएम कार्ड चालू कर दिया जायेगा। आपको बैंक आने की भी जरूरत नहीं है। कार्ड आपके घर पर ही पहुंचा दिया जाएगा। अपना पिन नंबर भी बताएं, और हाँ, बैलेंस भी बताएं।”
एक साथ इतने सारे सवाल सुन कर सीमा चकरा गयी। वह पहले ही जल्दी में थी, इस नयी मुसीबत से और घबरा गयी। उसने आव देखा न ताव, तुरंत एटीएम कार्ड निकाला, कार्ड का नंबर और पिन कार्ड बतला दिया।
दस मिनट के अन्दर ही सीमा के मोबाइल पर दो मेसेज आ गए। उसके बैंक खाते से तीस हज़ार रुपए निकाले जा चुके थे।
सीमा और भी घबरा गयी। वह तुरंत बैंक गयी और बैंक मैनेजर से बैंक से फ़ोन आने की बात कही। तब बैंक मैनेजर ने बताया, “मैडम हमारे बैंक से आपको कोई फ़ोन नहीं किया गया है। ऐसे ही फ़ोन हमारे और भी कई ग्राहकों को किये गए हैं और उनके साथ भी ऐसा ही हुआ है, जो आपके साथ हुआ है। हमने तो अखबार में भी कई बार यह खबर छपवाई है कि हमारे बैंक से किसी को ऐसे फोन नहीं किये जाते, अत: कृपया अपना एटीएम कार्ड नंबर और पिन नम्बर किसी को भी न बताएं।”
सीमा को समझते देर नहीं लगी कि उस एक फ़ोन कॉल से वह ठगी जा चुकी थी।
© श्री विजय कुमार
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