श्री हरभगवान चावला
( ई-अभिव्यक्ति में सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री हरभगवान चावला जी का हार्दिक स्वागत।sअब तक पांच कविता संग्रह प्रकाशित। कई स्तरीय पत्र पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। कथादेश द्वारा लघुकथा एवं कहानी के लिए पुरस्कृत । हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा श्रेष्ठ कृति सम्मान। प्राचार्य पद से सेवानिवृत्ति के पश्चात स्वतंत्र लेखन।)
आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय लघुकथा ‘विश’।)
☆ कथा-कहानी – कहानियाँ ☆ श्री हरभगवान चावला ☆
छः-छः, सात-सात साल की दो बच्चियांँ खेल रही थीं कि उन्होंने एक टूटते हुए तारे को देखा। “देखो शूटिंग स्टार।” एक बच्ची चिल्लाई। दोनों ने प्रार्थना के अंदाज़ में हाथ जोड़कर आंँखें बंद कर लीं और कुछ बुदबुदाने लगीं। कुछ क्षण बाद पहली बच्ची ने दूसरी से पूछा, “तुमने कौन सी विश मांँगी?”
“मैंने विश मांँगी कि मेरे घर में चॉकलेट का पेड़ उग आए। पता है, मेरे पापा मुझे दूसरे-तीसरे दिन बाज़ार ले जाते हैं पर चॉकलेट महीने-दो महीने में ही दिलवाते हैं। घर में चॉकलेट का पेड़ होगा तो पापा से कहना ही नहीं पड़ेगा। तुमने कौन सी विश मांँगी?”
“मुझे चॉकलेट नहीं चाहिए, पापा चाहिएंँ। मेरे पापा फॉरेन में हैं न! मैं और मम्मा तीन साल से उन्हें मिले भी नहीं हैं। मैंने तो विश मांँगी कि पापा फॉरेन से वापस हमारे पास आ जाएंँ।”
“तुम पापा के बिना उदास हो जाती हो न!”
“हांँ, मम्मा भी उदास होती है। कभी-कभी तो इतनी अपसेट हो जाती है कि बिना बात के मुझे बुरी तरह डांँट देती है, कभी तो हाथ भी उठा देती है। उसके बाद रोने लगती है।” बच्ची यह सब बताते हुए रुआंँसी हो आई। दूसरी बच्ची ने उसे धीरे से खींचकर अपनी देह से सटा लिया। कुछ ही पलों बाद उसने झटके से अपने को उससे अलग किया,
“मैं जाती हूंँ।अंँधेरा हो गया, मम्मा अकेली है। “
© हरभगवान चावला