श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” जी का हिन्दी बाल -साहित्य एवं हिन्दी साहित्य की अन्य विधाओं में विशिष्ट योगदान हैं। साप्ताहिक स्तम्भ “श्री ओमप्रकाश जी का साहित्य” के अंतर्गत उनकी मानवीय दृष्टिकोण से परिपूर्ण लघुकथाएं आप प्रत्येक गुरुवार को पढ़ सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपकी एक अतिसुन्दर बाल कविता – “चूसेगा पप्पू”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – श्री ओमप्रकाश जी का साहित्य # 109 ☆
☆ बाल कविता – चूसेगा पप्पू ☆
कच्चे आम हरेभरे है.
पक्के हैं पीलेपीले।
दस भरे रसीले है
लगते जैसे गीलेगीले ।।
इस को मूनिया खाएगी
रस बना, पी आएगी।
चूसेगा पप्पू राजा
पिंकी पी इतराएगी ।।
© ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
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