श्री हरभगवान चावला
(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री हरभगवान चावला जी की अब तक पांच कविता संग्रह प्रकाशित। कई स्तरीय पत्र पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। कथादेश द्वारा लघुकथा एवं कहानी के लिए पुरस्कृत । हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा श्रेष्ठ कृति सम्मान। प्राचार्य पद से सेवानिवृत्ति के पश्चात स्वतंत्र लेखन।)
आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय कविता – वह मारा गया।)
☆ कविता – वह मारा गया ☆ श्री हरभगवान चावला ☆
वह मारा गया भीड़ के हाथों
कि उसे भीड़ ही के हाथों मरना था
उसके अपराध इतने संगीन थे
कि दुनिया के किसी भी संविधान में
न उन अपराधों का ज़िक्र था
न इन अपराधों के लिए तय सज़ाओं का
वह बहते ख़ून को देखकर डर जाता था
जबकि समय ख़ून बहाकर गर्वित होने का था
वह लाचार को देखकर रो देता था
जबकि समय लाचारी के उपहास का था
उसे सच से जुनून की हद तक प्यार था
जबकि समय झूठ को सच बनाने का था
वह इन्सानों, जानवरों, घास और फूलों
यहाँ तक कि चूल्हों और दीवारों से प्यार करता था
जबकि समय नियोजित घृणाओं का था
इन्सान को जानवर और जानवरों को
ईश्वर बना देने की कला उसे नहीं आती थी
उसका सबसे बड़ा अपराध यह था
कि वो किताबें बहुत पढ़ता था
उसे मरना ही था भीड़ के हाथों ।
© हरभगवान चावला