श्री घनश्याम अग्रवाल
(श्री घनश्याम अग्रवाल जी वरिष्ठ हास्य-व्यंग्य कवि हैं. आज प्रस्तुत है कोरोना सन्दर्भ में आपकी एक लघुकथा – “निगेटिव रिपोर्ट का कमाल ”)
☆ लघुकथा ☆ निगेटिव रिपोर्ट का कमाल —” ☆ श्री घनश्याम अग्रवाल ☆
(कोरोना सन्दर्भ)
10 दिन की जद्दोजहद के बाद एक आदमी अपनी कोरोना नेगटिव की रिपोर्ट हाथ में लेकर अस्पताल के रिसेप्शन पर खड़ा था।
आसपास कुछ लोग तालियां बजा रहे थे, उसका अभिनंदन कर रहे थे।
जंग जो जीत कर आया था वो।
लेकिन उस शख्स के चेहरे पर बेचैनी की गहरी छाया थी।
गाड़ी से घर के रास्ते भर उसे याद आता रहा “आइसोलेशन” नामक खतरनाक और असहनीय दौर का वो मंजर।
न्यूनतम सुविधाओं वाला छोटा सा कमरा, अपर्याप्त उजाला, मनोरंजन के किसी साधन की अनुपलब्धता, कोई बात नही करता था और न ही कोई नजदीक आता था। खाना भी बस प्लेट में भर कर सरका दिया जाता था।
कैसे गुजारे उसने वे 10 दिन, वही जानता था।
घर पहुचते ही स्वागत में खड़े उत्साही पत्नी और बच्चों को छोड़ कर वह शख्स सीधे घर के एक उपेक्षित कोने के कमरे में गया, जहाँ माँ पिछले पाँच वर्षों से पड़ी थी। माँ के पावों में गिरकर वह खूब रोया और उन्हें लेकर बाहर आया।
पिता की मृत्यु के बाद पिछले 5 वर्षों से एकांतवास (आइसोलेशन )भोग रही माँ से कहा कि माँ आज से आप हम सब एक साथ एक जगह पर ही रहेंगे।
माँ को भी बड़ा आश्चर्य लगा कि आख़िर बेटे ने उसकी पत्नी के सामने ऐसा कहने की हिम्मत कैसे कर ली? इतना बड़ा हृदय परिवर्तन एकाएक कैसे हो गया? बेटे ने फिर अपने एकांतवास की सारी परिस्थितियाँ माँ को बताई और बोला अब मुझे अहसास हुआ कि एकांतवास कितना दुखदायी होता है?
बेटे की नेगटिव रिपोर्ट उसकी जिंदगी की पॉजिटिव रिपोर्ट बन गयी।
(अनाम लेखक)
इसके आगे की कथा मैंने जनहितार्थ लिखी
बेटे ने अपनी निगेटिव रिपोर्ट को चूमते हुए देखा कि कोरोना वायरस दो मीटर दूर खड़ा जाने की इजाजत मांग रहा है। बेटा हाथ जोड़कर बोला- तुम्हारे कारण मुझे दस दिन की तकलीफ तो हुई, पर मेरी माँ की पाँच साल की तकलीफ दूर हो गई। तुम्हारा बहुत…बहुत ” कहते बेटे की आँखों से दो बूँद धन्यवाद टपक पड़ा ।
वायरस की भी आँख भर आई बोला-” हम अति सूक्ष्म हैं तो क्या? माँ-बाप तो हमारे भी होते है।और हम उन्हे अपने साथ ही रखते हैं । खैर, अपना और अपने माँ-बाप का खयाल रखना। याद रहे दवाओं के साथ दुआएं भी लो तो इम्युनिटी जल्दी बढ़ती है। अच्छा तो अब हम चलते हैं।”
“क्या अब यहाँ से सीधे वापिस चीन जाओगे?” बेटे ने पूछा
नहीं नहीं, इतनी जल्दी नहीं। अभी उन कुछ घरों में और जाना है, जिन घरों के माँ-बाप पाँच साल से अब तक एकांतवास (आइसोलेशन) में हैं। “
© श्री घनश्याम अग्रवाल
(हास्य-व्यंग्य कवि)
094228 60199
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈