श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’

(ई-अभिव्यक्ति में श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’ जी का स्वागत। पूर्व शिक्षिका – नेवी चिल्ड्रन स्कूल। वर्तमान में स्वतंत्र लेखन। विधा –  गीत,कविता, लघु कथाएं, कहानी,  संस्मरण,  आलेख, संवाद, नाटक, निबंध आदि। भाषा ज्ञान – हिंदी,अंग्रेजी, संस्कृत। साहित्यिक सेवा हेतु। कई प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय स्तर की साहित्यिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा अलंकृत / सम्मानित। ई-पत्रिका/ साझा संकलन/विभिन्न अखबारों /पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। पुस्तक – (1)उमा की काव्यांजली (काव्य संग्रह) (2) उड़ान (लघुकथा संग्रह), आहुति (ई पत्रिका)। शहर समता अखबार प्रयागराज की महिला विचार मंच की मध्य प्रदेश अध्यक्ष। आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय लघुकथा – मिलावटी दुनिया।)

☆ लघुकथा – चंदा ये कैसा धंधा? ☆ श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’

दरवाजे की घंटी बजी और सामने एक बड़ा झुंड दिखाई दिया।

कहां गए बत्रा जी?

कमला उनको देखकर मन में विचार करने लगी अब क्या करूं तभी एकाएक उसके मुंह से कुछ शब्द निकले…

अभी देखा न घर से बाहर गए बत्रा जी आप कौन हैं?

एक काले मोटे बड़ी बड़ी मूंछ वाले लड़कों ने रसीद निकालते हुए कहा ऐसा है आंटी नई कमेटी बनी है चंदा दो।

अरे क्यों चंदा दे भाई हमारी कमेटी है।

वह भंग हो गई कारण नहीं बता सकते।

ऐसा कहीं होता है क्या मेंबर्स की मीटिंग भी हुई।

देखो आंटी वह सामने लाइट लगी है हमने लगवाई है ₹500 महीने देना पड़ेगा।

यह कोई जबरदस्ती है इतने में ही पड़ोस के चार लड़के आगे और बातों बातों में आग बबूला होने लगे मारपीट हो गई, सिर फुटौव्वल की नौबत आ गई।

कमला जी ने जोर से कहा – बच्चों शांत हो जाओ किसी बुजुर्ग को अपने साथ होता तो यह नौबत नहीं आती, देखो भाई हम तुम्हें नहीं जानते ना पहचानते हमारे मोहल्ले के तुम लग नहीं रहे हो?

ना दुआ ना सलाम ना राम राम तुम कैसे मेहमान?

बच्चों तुम लोग तो लाठी के जोर पर ऐड दिखा रहे हो क्या?

नहीं दूंगी एक पैसा और जो लगी है स्ट्रीट लाइट नगर निगम लगाती है।

₹500 कम होता है किसी गरीब को देंगे किसी बच्चे की पढ़ाई के लिए लगाएंगे तो ज्यादा अच्छा है।

आप लोग पढे-लिखे अच्छे घर के लगते हो कोई ढंग का काम करो।

एक लड़के ने बेशर्मी से हंसकर कहा- आपको कोई ऐतराज है ज्ञानी आंटी।

अरे बच्चों के ऊपर इतनी दया नहीं करोगी क्या?

धूप में गला भी सूख गया है चाय पानी के लिए ही कुछ दो,आप ही ने तो कहा था आंटी चंदा कैसा धंधा……

धंधे की शुरुआत की है कुछ बोली तो करवा दो।

© श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’

जबलपुर, मध्य प्रदेश मो. 7000072079

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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