श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’
(ई-अभिव्यक्ति में श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’ जी का स्वागत। पूर्व शिक्षिका – नेवी चिल्ड्रन स्कूल। वर्तमान में स्वतंत्र लेखन। विधा – गीत,कविता, लघु कथाएं, कहानी, संस्मरण, आलेख, संवाद, नाटक, निबंध आदि। भाषा ज्ञान – हिंदी,अंग्रेजी, संस्कृत। साहित्यिक सेवा हेतु। कई प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय स्तर की साहित्यिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा अलंकृत / सम्मानित। ई-पत्रिका/ साझा संकलन/विभिन्न अखबारों /पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। पुस्तक – (1)उमा की काव्यांजली (काव्य संग्रह) (2) उड़ान (लघुकथा संग्रह), आहुति (ई पत्रिका)। शहर समता अखबार प्रयागराज की महिला विचार मंच की मध्य प्रदेश अध्यक्ष। आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय लघुकथा – प्लास्टिक के फूल ।)
☆ लघुकथा # 35 – प्लास्टिक के फूल ☆ श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’ ☆
अरे! भाग्यवान सावन त्योहार आया है और राखी का त्योहार है। खरीदारी करने मार्केट नहीं जा रही हो?
नहीं इस बार मैंने रवि और बहू को कह दिया है वे ऑनलाइन ही मेरे भाई को राखी भेज देगी। आजकल राखी के साथ मिठाई टॉफी पर काफी सामान ऑनलाइन मिल जाते हैं और खरीदने और भेजना में कोई परेशानी नहीं होती?
मार्केट की भीड़भाड़ से भी बच जाते हैं।
अरे भाग्यवान! जो सामान खुद जाकर खरीदने में मजा है वह यह ऑनलाइन में कहां है?
कोई नहीं, मैं तो अपनी बहन के घर जा रहा हूं और उसके हाथ की मिठाई खाऊॅंगा। दीदी खुद हाथ से राखी बांधती है और मेरे लिए रूमाल पूरे दो दर्जन मुझे साल भर के लिए देती है। साथ ही मुझे टॉवल भी देती है।
तुम्हें प्लास्टिक की दुनिया मुबारक हो? तुम प्लास्टिक के फूल की तरह हो गई हो।
© श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’
जबलपुर, मध्य प्रदेश मो. 7000072079
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈