श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’

(ई-अभिव्यक्ति में श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’ जी का स्वागत। पूर्व शिक्षिका – नेवी चिल्ड्रन स्कूल। वर्तमान में स्वतंत्र लेखन। विधा –  गीत,कविता, लघु कथाएं, कहानी,  संस्मरण,  आलेख, संवाद, नाटक, निबंध आदि। भाषा ज्ञान – हिंदी,अंग्रेजी, संस्कृत। साहित्यिक सेवा हेतु। कई प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय स्तर की साहित्यिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा अलंकृत / सम्मानित। ई-पत्रिका/ साझा संकलन/विभिन्न अखबारों /पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। पुस्तक – (1)उमा की काव्यांजली (काव्य संग्रह) (2) उड़ान (लघुकथा संग्रह), आहुति (ई पत्रिका)। शहर समता अखबार प्रयागराज की महिला विचार मंच की मध्य प्रदेश अध्यक्ष। आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय लघुकथा – नेक कार्य।)

☆ लघुकथा # 52 – नेक कार्य  श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’

क्या हो गया बाबूजी, आज आप मुझे स्कूल यह कहां ले जा रहे हैं? हम यह कपड़े की दुकान में क्यों आए हैं? बेटा आज तुम्हारे चाचा के बेटे की शादी है, सब लोग वही गए हैं। तुम्हें भी वही चलना है आज तुम्हारी परीक्षा थी, इसलिए तुम्हें स्कूल से लेने में आ गया। अब तुम यहां पर एक अच्छा सा कपड़ा खरीद लो । तुम्हें मैं शादी में छोड़ देता हूं कोई पूछेगा तो बोल देना कि चाचा जी ने मुझे कपड़े दिए हैं।

बाबूजी आपको पता है कि माँ कितना नाराज होगी यह सुनेगी तो?

मैं घर जाती हूं आप शादी में चले जाओ।

नहीं बेटा, जो कह रहा हूं वह चुपचाप मानो और उसे एक सुंदर सी फ्रॉक दिला देते हैं और कहते हैं इसे तुम पहनो और उसके कपड़े पैक करके उसके बैग में डाल देते हैं।

अरे !यह सुनीता ने तो बहुत सुंदर फ्रॉक पहना है। कैसा हुआ तेरा पेपर? यह किसकी फ्रॉक पहन के आ गई ?

माँ यह फ्रॉक मुझे चाचा जी ने दिया है।

भाई की शादी बोले आज है तो तू यहीं पर रहो ठीक है।

चल उसने कुछ खर्चा तो किया।

देखो जी मेरा भतीजा आ रहा है उसे एक अच्छा सा कोट पेंट दिला दो मैं अपने भतीजे को गोद लेना चाह रही थी तुमने नहीं लेने दिया वह मेरा बेटा है।

ठीक है भाग्यवान तो मायके के मोह में हो। तुम्हें क्या पता मेरे निर्णय पर एक दिन तुम खुश होगी जब हमारी सुनीता कुछ बड़ा नाम करेगी और तुम्हारी देखभाल यही करेगी। लेकिन इस सच्चाई से तुम भाग रही हो।

अच्छा शादी में तो चुप रहो। घर चलकर तुम्हारा प्रवचन तो मैं सुनती रहती हूं। नाम तो तुम्हारा शांति है पर हमेशा अशांत रहती हो।

चल! बेटा सुनीता आज हम आराम से रहते हैं। तेरे सहारे मेरा जीवन अच्छे से कट जाएगा मुझे बहुत खुशी है कि मैंने सही समय पर तुझे गोद लेकर एक नेक कार्य किया है।

© श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’

जबलपुर, मध्य प्रदेश मो. 7000072079

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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