श्री हरभगवान चावला

(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री हरभगवान चावला जी की अब तक पांच कविता संग्रह प्रकाशित। कई स्तरीय पत्र पत्रिकाओं  में रचनाएँ प्रकाशित। कथादेश द्वारा  लघुकथा एवं कहानी के लिए पुरस्कृत । हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा श्रेष्ठ कृति सम्मान। प्राचार्य पद से सेवानिवृत्ति के पश्चात स्वतंत्र लेखन।) 

आज प्रस्तुत है आपकी एक अप्रतिम और विचारणीय लघुकथा ख़ज़ाना)

☆ लघुकथा – ख़ज़ाना ☆ श्री हरभगवान चावला ☆

संगीत समारोह में बीस वर्षीय आर्यन ने इतना शानदार गाया कि श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए। बहुत देर तक उसके लिए तालियाँ बजती रहीं। आर्यन के संगीत-गुरु राज वर्मा मंच पर अपने शिष्य के बारे में कुछ कहने के लिए आमंत्रित किए गए। उन्होंने कहा, “आज इसने जो मुकाम पाया है, अपनी मेहनत और लगन के कारण ही पाया है।

यह जून के महीने में जिस दिन पहली बार मेरे पास आया, उस दिन बेहद गर्मी थी। सड़कें आग की तरह जल रहा थीं। वह मेरे सामने नंगे पाँव खड़ा था। मैंने सोचा शायद जूते बाहर निकाल कर आया है। मैंने इसे सामने बैठाया, पानी पिलाया और कुछ सुनाने के लिए कहा। इसने गाया तो मुझे लगा बच्चे में प्रतिभा है। मैंने इसे सिखाने के लिए सहमति दे दी। यह दरवाज़े से बाहर निकला तो आदतन मैं दरवाज़े तक छोड़ने आया। इसने प्रणाम किया और सड़क पर चल दिया।

मैंने टोका – तुमने पाँव में कुछ पहना नहीं, कितनी गर्मी है?

इसने कहा – मुझे गर्मी नहीं लगती गुरु जी… राज वर्मा आगे कुछ बोल नहीं पाए। शब्द टूट गये थे, गला भर आया था, वे पर्वत की तरह अचल खड़े थे और उस अचल पहाड़ से झरने बह रहे थे।

इससे पहले कि वे रूमाल से आँसू पोंछते, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ने अपने रूमाल में उनके आँसू समेटे और कहा, “गुरु शिष्य के अद्भुत और स्नेहिल रिश्ते के साक्षी इन पवित्र मोतियों के अनमोल ख़ज़ाने को मैं हमेशा सँभालकर रखूँगा। इस ख़ज़ाने का स्वामी बनाने के लिए शुक्रिया।”

अब राज वर्मा और मुख्य अतिथि गले लगकर खड़े थे और तमाम श्रोताओं की आँखों में आँसू उम्मीद की तरह झिलमिला रहे थे।

©  हरभगवान चावला

सम्पर्क – 406, सेक्टर-20, हुडा,  सिरसा- 125055 (हरियाणा) फोन : 9354545440

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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