श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’
(ई-अभिव्यक्ति में श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’ जी का स्वागत। पूर्व शिक्षिका – नेवी चिल्ड्रन स्कूल। वर्तमान में स्वतंत्र लेखन। विधा – गीत,कविता, लघु कथाएं, कहानी, संस्मरण, आलेख, संवाद, नाटक, निबंध आदि। भाषा ज्ञान – हिंदी,अंग्रेजी, संस्कृत। साहित्यिक सेवा हेतु। कई प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय स्तर की साहित्यिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा अलंकृत / सम्मानित। ई-पत्रिका/ साझा संकलन/विभिन्न अखबारों /पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। पुस्तक – (1)उमा की काव्यांजली (काव्य संग्रह) (2) उड़ान (लघुकथा संग्रह), आहुति (ई पत्रिका)। शहर समता अखबार प्रयागराज की महिला विचार मंच की मध्य प्रदेश अध्यक्ष। आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय लघुकथा – खाली घरौंदा।)
☆ लघुकथा # 55 – खाली घरौंदा ☆ श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’ ☆
मानसी बहुत दिन हो गया तुम मेरे साथ कहीं नहीं गईं? मेरे ऑफिस में जो शर्मा अंकल हैं। तुम्हें तो पता है, पिताजी की अचानक दिल का दौरा से मृत्यु गई थी जब कोई सहारा नहीं था। अंकल ने हमारी बहुत मदद की है ऑफिस और मेरा बिजनेस अंकल के कारण चल रहा है। आज उनकी बेटी की शादी है तुम मेरे साथ चलो मुझे अच्छा लगेगा।
फिर वह कुछ रुक कर बोला – तुम अपना बर्तन प्लेट घर में अलग रखती हो। अपना सामान किसी को छूने नहीं देती। इतनी साफ सफाई से रहना अच्छी बात है। किन्तु, हमें सबके साथ मिलना जुलना चाहिए चलो खाना मत खाना? क्या ! तुम मेरी खुशी के लिए इतना नहीं कर सकती?
तुम्हें पता है कि लोग कहीं से भी आकर छू देते हैं और गले मिलते हैं यह मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता?
तुम चिंता मत करो हम जल्दी ही आ जाएंगे?
तुम अकेले जाओ मुझे इतना जोर मत दो मुझे ऑफिस लोगो के यहाॅं जाना अच्छा नहीं लगता है। तुम्हें तो मेरी आदत पता है, मुझे छोटे लोगों से मिलना जुलना बिल्कुल पसंद नहीं है।
ठीक है? तुम्हें नहीं जाना तो मत जाओ तुम्हारे पास मैं बुआ जी को छोड़ देता हूं रात में मैं वही रहूंगा।
तुम्हारा मेरे लिए इतना प्यार मुझे अच्छा नहीं लगता। घर में नौकर भी तो है फिर बुआ जी को क्यों यहाॅं छोड़ना?
अचानक रात में मानसी को बहुत दर्द होने लगा और वह कराहने लग गई। तभी बुआ जी और उनका बेटा उसके कराहने की आवाज सुनकर मानसी के घर पहुंचे। अरुण ने उन्हें घर की चाबी पहले से ही दे रखी थी ।
क्या हुआ बेटा?
बुआ जी मुझे बहुत दर्द हो रहा है।
बिना देर किए वे लोग उसे अस्पताल जाते हैं तब पता चलता है कि अपेंडिक्स का दर्द है।
बेटा डॉक्टर को तुम्हें छूना ही पड़ेगा और कुछ दिन अस्पताल में रहना ही पड़ेगा।
इसी कारण तुम्हारा खाली घरौंदा है। थोड़ा वक्त के साथ चलो? अपने आप को थोड़ा परिवर्तित करो।
© श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’
जबलपुर, मध्य प्रदेश मो. 7000072079
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈