श्री हरभगवान चावला

(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री हरभगवान चावला जी की अब तक पांच कविता संग्रह प्रकाशित। कई स्तरीय पत्र पत्रिकाओं  में रचनाएँ प्रकाशित। कथादेश द्वारा  लघुकथा एवं कहानी के लिए पुरस्कृत । हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा श्रेष्ठ कृति सम्मान। प्राचार्य पद से सेवानिवृत्ति के पश्चात स्वतंत्र लेखन।) 

आज प्रस्तुत है आपकी एक अप्रतिम और विचारणीय लघुकथा ज़िम्मेदारी )

☆ लघुकथा – ज़िम्मेदारी ☆ श्री हरभगवान चावला ☆

वह लड़की तीन साल से वहाँ रहकर संस्कृति पर शोध कर रही थी। वह एक घर में किराए पर रहती थी। वृद्ध मकान मालिक और मालकिन उससे बहुत प्यार करते थे। उसका काम उन्हें समझ में नहीं आता था, पर वे बहुत बार उसे चुपचाप मुग्ध दृष्टि से देखते रहते थे। धर्मांध लड़ाके जब देश की सत्ता पर क़ाबिज़ हो गए तो लड़की डर गई। वह देश से बाहर निकल जाने के प्रयास में थी कि उसके मकान मालिक की हत्या कर दी गई। ग़म में डूबी मकान मालकिन ने उससे कहा, “तुम जल्दी इस नरक को छोड़ दो।”

“लेकिन आप अकेली हैं और बीमार भी। ऐसे में…”

“तुम मेरी चिंता मत करो। तुम जवान हो, तुम्हारे सामने पूरी ज़िंदगी पड़ी है, भाग जाओ।”

“मेरी वजह से आपको कोई ख़तरा हो तो मैं चली जाती हूँ वरना अब जो भी हो, मैं आपको छोड़कर नहीं जाऊँगी।”

वृद्धा ने लड़की को गले लगा लिया। बहुत देर तक दोनों एक दूसरे से चिपकी रहीं। जब वे अलग हुईं तो दोनों के भीतर ज़रा सा भी खौफ नहीं बचा था।

©  हरभगवान चावला

सम्पर्क – 406, सेक्टर-20, हुडा,  सिरसा- 125055 (हरियाणा) फोन : 9354545440

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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