श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’
(ई-अभिव्यक्ति में श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’ जी का स्वागत। पूर्व शिक्षिका – नेवी चिल्ड्रन स्कूल। वर्तमान में स्वतंत्र लेखन। विधा – गीत,कविता, लघु कथाएं, कहानी, संस्मरण, आलेख, संवाद, नाटक, निबंध आदि। भाषा ज्ञान – हिंदी,अंग्रेजी, संस्कृत। साहित्यिक सेवा हेतु। कई प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय स्तर की साहित्यिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा अलंकृत / सम्मानित। ई-पत्रिका/ साझा संकलन/विभिन्न अखबारों /पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। पुस्तक – (1)उमा की काव्यांजली (काव्य संग्रह) (2) उड़ान (लघुकथा संग्रह), आहुति (ई पत्रिका)। शहर समता अखबार प्रयागराज की महिला विचार मंच की मध्य प्रदेश अध्यक्ष। आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय लघुकथा – अंधी दौड़।)
☆ लघुकथा # 64 – क्षमादान ☆ श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’ ☆
रागिनी का बारहवीं कक्षा का रिजल्ट आया तो वो फेल हो गई थी। मां बचपन में ही चल बसी थी।
पापा के गुस्से के डर से उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे? जीवन बोझ लग रहा था। उसे याद आ रहा था जब पिछली क्लासों में वह किसी तरह पास होती थी तब पापा उसे बहुत मारते थे। भैया भाभी जीना मुश्किल कर देंगे। घर का काम तो पूरा करवाते ही हैं पढ़ने भी नहीं देते। जाने अब क्या होगा?
पिताजी जब ऑफिस से घर आए तो रागिनी थर-थर काँपने लगी। साथ ही भैया भाभी भी ऑफिस से घर आ गए।
पापा ने कहा- “बेटी चिंता मत करो, और मन लगाकर पढ़ाई करो। यदि तुम पढ़ाई नहीं करना चाहती तो बता दो दूसरे और भी प्रोफेशनल कोर्स हैं जो तुम कर सकती हो? सिलाई, कढ़ाई और पार्लर का कोर्स भी कर सकती हो? खाना तुम कितना अच्छा बनाती हो, ड्राइंग भी अच्छा करती हो। जो काम अच्छा लगे वही करो, डरो मत।”“
उसने कहा कि- “पापा में पार्लर का कोर्स करूंगी और साथ ही फिर से 12वीं की परीक्षा दूंगी इस बार मैं अच्छा करके दिखाऊंगी? आपने इतना विश्वास किया है।”
क्षमादान पाकर उसमें एक नया उत्साह जाग गया।
© श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’
जबलपुर, मध्य प्रदेश मो. 7000072079
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈