श्री हरभगवान चावला
(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री हरभगवान चावला जी की अब तक पांच कविता संग्रह प्रकाशित। कई स्तरीय पत्र पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। कथादेश द्वारा लघुकथा एवं कहानी के लिए पुरस्कृत । हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा श्रेष्ठ कृति सम्मान। प्राचार्य पद से सेवानिवृत्ति के पश्चात स्वतंत्र लेखन।)
आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय लघुकथा – पाप…)
☆ पुरस्कृत लघुकथा – पाप… ☆ श्री हरभगवान चावला ☆
(कथादेश अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता-2024 में प्रथम पुरस्कार प्राप्त लघुकथा)
कन्या पैदा हुई। घर के सब लोग एकदम ख़ामोश थे। कन्या के गले में तम्बाकू रख दिया गया, कन्या हिचकी भी नहीं ले पाई। दो मर्दों ने, जिनमें से एक कन्या का पिता था, गड्ढा खोदा और निरासक्त भाव से उसे धरती के अँधेरे में पहुँचा दिया। दफ़न के वक्त कन्या के पिता ने कन्या से कहा, “जा, जहाँ से आई थी, आगे अब भैया को भेजना।”
कन्या का पिता कन्या को दफ़न करने और पुजारी जी को सीधा पहुँचाने के बाद कन्या की माँ के पास आ बैठा। वह रो रही थी। कन्या के पिता ने कहा, “रोती क्यों हो? वंश तो बेटे से ही चलेगा न!”
“हमारा अंश थी वह! दुनिया मे आई और आँख खोलने से पहले चली भी गई। भारी पाप लगेगा हमें।”
“पाप क्यों लगेगा, हमने कौन सी गऊ हत्या की है?
© हरभगवान चावला
सम्पर्क – 406, सेक्टर-20, हुडा, सिरसा- 125055 (हरियाणा) फोन : 9354545440
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈
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