श्री राजेन्द्र तिवारी
(ई-अभिव्यक्ति में संस्कारधानी जबलपुर से श्री राजेंद्र तिवारी जी का स्वागत। इंडियन एयरफोर्स में अपनी सेवाएं देने के पश्चात मध्य प्रदेश पुलिस में विभिन्न स्थानों पर थाना प्रभारी के पद पर रहते हुए समाज कल्याण तथा देशभक्ति जनसेवा के कार्य को चरितार्थ किया। कादम्बरी साहित्य सम्मान सहित कई विशेष सम्मान एवं विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित, आकाशवाणी और दूरदर्शन द्वारा वार्ताएं प्रसारित। हॉकी में स्पेन के विरुद्ध भारत का प्रतिनिधित्व तथा कई सम्मानित टूर्नामेंट में भाग लिया। सांस्कृतिक और साहित्यिक क्षेत्र में भी लगातार सक्रिय रहा। हम आपकी रचनाएँ समय समय पर अपने पाठकों के साथ साझा करते रहेंगे। आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण कविता ‘प्रकृति…‘।)
☆ कविता – प्रकृति… ☆ श्री राजेन्द्र तिवारी ☆
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अलसाई सी रुत है, मन बावरा बेचैन,
चेहरा तो संयत है, चंचल चंचल नैन.
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खोज रहा मन, यहां वहां, यत्र तत्र सर्वत्र,
चैन मिले न बावरा, कर गया मन बेचैन,
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एक अकेला चांद है, आसमान पर मौन,
तारे सारे सिमट गए, पूछ रहे हैं कौन,
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धुंआ धुआं सब हो रहा, मौन गली सुनसान,
दीपक राह दिखात है, स्वर झींगुर की तान,
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सुरमई भोर में उदित हुआ, रक्तिम दिनकर,
पेड़ों पर कलरव करते पंछी, पूछ रहे कौन.
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किसने क्या कह दिया, सागर की लहरों से,
पटकती हैं, कदमों पर सिर को, तट मौन.
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© श्री राजेन्द्र तिवारी
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