श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’
(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’ जी, पूर्व शिक्षिका – नेवी चिल्ड्रन स्कूल। वर्तमान में स्वतंत्र लेखन। विधा – गीत,कविता, लघु कथाएं, कहानी, संस्मरण, आलेख, संवाद, नाटक, निबंध आदि। भाषा ज्ञान – हिंदी,अंग्रेजी, संस्कृत। साहित्यिक सेवा हेतु। कई प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय स्तर की साहित्यिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा अलंकृत / सम्मानित। ई-पत्रिका/ साझा संकलन/विभिन्न अखबारों /पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। पुस्तक – (1)उमा की काव्यांजली (काव्य संग्रह) (2) उड़ान (लघुकथा संग्रह), आहुति (ई पत्रिका)। शहर समता अखबार प्रयागराज की महिला विचार मंच की मध्य प्रदेश अध्यक्ष। आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय लघुकथा – अंधी दौड़।)
☆ लघुकथा # 41 – गोबर गणेश ☆ श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’ ☆
माॅं तुम हमेशा मुझे पढ़ने को क्यों बोलती रहती हो?
मैं घर का सारा काम भी तो करता हूं और तुम्हारी कितनी मदद करता हूं। क्या यह सब तुम्हें अच्छा नहीं लगता? तुम और पिताजी हमेशा मुझे डांटे रहते हो। बड़े भाई बहनों को तो तुम लोग कुछ नहीं बोलते मुझे हमेशा क्यों रहते हो दिमाग में गोबर भरा है। गोबर गणेश की तो पूजा भी करते हैं।
बेटा हम तुम्हारे भले की ही बात कहते हैं। देखा! गणेश जी को भी कुछ अरसे बाद रखें और विसर्जित कर देते हैं। जीवन भर हम भी नहीं रहेंगे और तुम्हारा जीवन कैसे चलेगा?
बाद में तुम पछताओगे और समय निकल जाने के बाद किसी की कोई कीमत नहीं होती। जितनी जल्दी यह सब बातें तुम अपने दिमाग में समझ लोगे उतना ही अच्छा रहेगा।
© श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’
जबलपुर, मध्य प्रदेश मो. 7000072079
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈