डॉ. अंजना सिंह सेंगर

(डॉ. अंजना सिंह सेंगर जी का ई-अभिव्यक्ति में हार्दिक स्वागत है.  साहित्य प्रेम के कारण केंद्र सरकार की सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्त अधिकारी। सेवानिवृत्त होकर पूरी तरह से साहित्य सेवा एवं  समाज सेवा में लीन।  आपकी चार पुस्तकें प्रकाशित एवं कई रचनाएँ विभिन्न संकलनों में प्रकाशित. आकाशवाणी केंद्र इलाहाबाद एवं आगरा से विभिन्न साहित्यिक विधाओं का प्रसारण.  कई सामाजिक संस्थाओं से सम्बद्ध. कई  राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत /अलंकृत.  आपकी  उत्कृष्ट रचनाओं का ई-अभिव्यक्ति में सदैव स्वागत है. आज प्रस्तुत है एक गीत – जल संरक्षण पर ” यही सृष्टि का है करतार”.)

 

☆ यही सृष्टि का है करतार

एक गीत  -जल संरक्षण पर

 

जल से है जन्मी यह पृथ्वी

जल जन-जीवन का आधार।

बिना जल न जी सकता कोई

यही सृष्टि का है करतार।।

 

महासिन्धु को देतीं उबाल

जब सूरज की किरणें तपती

तब जलधर की अमृत वृष्टि से

धरती माँ की चूनर सजती

अम्बर भी बन जाता दानी

प्रकृति-नटी करती श्रृंगार।

बिना जल न जी सकता कोई

यही सृष्टि का है करतार।।

 

पथ उत्पादन का प्रशस्त कर

कण कण हरियाली भर गाते

दहके जड़-चेतन के अन्तस

जल पी पीकर ख़ुश हो जाते

जल-विहीन धरती का आँचल

कब किसका है पाया प्यार।

बिना जल न जी सकता कोई

यही सृष्टि का है करतार।।

 

व्यर्थ कहीं भी इसे बहाना

भूल हुई भारी है अब तक

विश्व-युद्ध के द्वार खड़ा जग

जल हेतु देता है दस्तक

अगर न चेते इतने पर भी

होगा निश्चय नर-संहार।

बिना जल न जी सकता कोई

यही सृष्टि का है करतार।।

 

कीमत अमृतमय पानी की,

कब जानोगे बोलो आज,

भरे बांध हों, पोखर, झरने,

नदिया की बच जाए लाज।

नारायण रूपी ये जल ही,

देता श्री का है संसार।

बिना जल न जी सकता कोई,

यही सृष्टि का है करतार।

 

©  डॉ. अंजना सिंह सेंगर  

जिलाधिकारी आवास, चर्च कंपाउंड, सिविल लाइंस, अलीगढ, उत्तर प्रदेश -202001

ईमेल : [email protected]

 

 

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Saurabh Singh Rathore

Very nice written…very good msg.everyone must think about save water and nature..I appreciate Dr Anjana Mam for her efforts..

Saurabh Singh Rathore

Very nice poem.good and important msg.I appreciate Dr Anjana Mam for her efforts towards this serious Matter.Everyone should come forward for save water and nature.

A p mishra

मैंने अंजना सिंह सेंगर की कविताएँ तब से देखी और सुनी हैं जब वो ग्रैजूएशन कर रहीं थीं , तबसे तो अब कई साल हो गए उन्हें कविता लिखते ।
इस बीच जो निखार उनकी कविता में आया है वो बेहद प्रशंशनिए है ।khaash तौर से ये कविता बेहद समसामयिक है ।
पूरी दुनिया इस विषय को लेकर जब चिंतित है तो anjna की चिंता स्वाभाविक है ।
उन्हें बहुत साधुवाद ।
ए पी मिश्र

MFA KSA

Wow Mam Super Poetry amazing thoughts and explanation of the nature you are the true poet for protection of humanity nature and others sectors
We are duaa for you please Keep writing more and more
Highly appreciated your kind efforts for rising the forgotten points and protecting too.

ravi verma

Great poetry and very meaningful. In this poem today’s era is threaded too.

नीरज जैन

जल संरक्षण की चिन्ता को रेखांकित करती इस समसामयिक रचना के लिए हृदय से आभार, बधाई और शुभकामनाएं
नीरज जैन
कार्यक्रम अधिशाषी/ कार्यक्रम प्रमुख
आकाशवाणी, आगरा

अशोक अंजुम

जल-संकट के प्रति सचेत करती अंजना जी की यह कविता सोचने को बाध्य करती है!