हिन्दी साहित्य – कविता – चिड़िया – श्री जय प्रकाश पाण्डेय
जय प्रकाश पाण्डेय
चिड़िया
जब चिड़िया फुदकती है,
तो नहीं पूछो उसकी जाति,
जब चिड़िया चहकती है,
तो नहीं पूछो उसका धर्म,
चिड़िया पंख पसारती है,
तो नहीं पूछो वो मकसद,
चिड़िया हमारे मन में,
पैदा करती है उड़ने का भ्रम,
चिड़िया हमें सिखाती है,
घोंसले बनाने जैसा परिश्रम,
चिड़िया धर्म नहीं मानती,
चुगती है दाना बनाके झुंड,
चिड़िया उदास नहीं होती,
घोंसला टूटने के बाद,
फिर से हौसला बढ़ाती है,
उत्साह से हर तिनके साथ,
© जय प्रकाश पाण्डेय